भड़ास की सदस्य संख्या 125 हो गई है। अहमदाबाद से अंग्रेजी अखबार के एक साथी दर्पण सिंह ने खुद के भड़ास ज्वाइन करने की खबर भड़ास पर पोस्ट भी की है। उन्होंने अंग्रेजी वाला होने के बावजूद भड़ास ज्वाइन करने की इच्छा जताई है, उनका आशीष महर्षि और मैंने स्वागत किया है, उनकी पोस्ट पर कमेंट करके। दर्पण का भड़ास ज्वाइन करना साबित करता है कि भड़ास अब भाषाई दीवारों को तोड़ते हुए तेजी से हिंदी के झंडे गाड़ रहा है। बस शर्त इतनी है कि आपकी आत्मा हिंदी वाली होनी चाहिए और अगर न हो तो हिंदी की जय जय करनी होगी क्योंकि हम भड़ासियों का भड़ास निकालने के साथ साथ लक्ष्य हिंदी और हिंदी वालों की जय जय करना व कराना भी है। तो दर्पण भाई, ये शर्त मंजूर है ना!!!
दो तीन दिनों में सदस्य संख्या 100 से बढ़कर 125 हो जाना भड़ास की लोकप्रियता का सबूत है। इतनी तेजी से हो रहे विस्तार को लेकर मैं खुद आश्चर्यचकित हूं। लेकिन अपने हिंदी मीडियाकर्मी मित्रों के सपोर्ट और प्यार के चलते यह सब हो पा रह है, यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है। मैं तो मात्र निमित्त मात्र हूं जिसके हाथों यह सब हो पा रहा है। सभी भड़ासियों से अपील है कि वो किसी न किसी विषय पर लगातार अपनी भड़ास निकालते रहें ताकि उनके भड़ास ज्वाइन करने का मतलब सार्थक हो सके। भड़ास निकालने का मतलब यह कतई नहीं हैं कि आप गालियों में ही लिखें। आप शालीनता से भी अपनी बात रख सकते हैं। बाकी गालियों के लिए हम लोग जैसे देहाती भड़ासी तो हैं ही।
नए ज्वाइन करने वाले सभी भड़ासी साथियों का जोरदार इस्तकबाल। नए साल में उनके जीवन, करियर और परिवार में तरक्की व खुशहाली के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं।
जय भड़ास
यशवंत
3.1.08
125 भड़ासी--अंग्रेजी वाले साथी का स्वागत है पर हिंदी की जय जय कहना होगा
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