आज जो लिख रहा हूं वो मात्र भड़ास नहीं पीड़ा भी है । मेरे हाथ दिनांक ०४/०६/२००४ का "राष्ट्रीय सहारा"(दिल्ली) का एक पेज लगा तो पढ़ कर बहुत कुछ %)(*(॓%ऽ **??\\// मन और मुंह से निकला । आप भी जरा इस समाचार पर नजर डालिए .......
न्याय देने वाले न्यायाधीश को भी नहीं मिला न्याय
राकेश नाथ
नई दिल्ली , ३ जून
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सभी को न्याय देने वाले न्यायाधीश को न्याय न मिले , यह जानकर तो किसी को भी हैरत होगि ,लेकिन यह सच है कि उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ कोर्ट के न्यायाधीश आनंद सिंह को न्याय पाने के लिये दर-दर भटकना पड़ा । इतना ही नहीं वे न्याय पाने के लिये उच्च न्यायालय , न्याय एवं विधि मंत्रालय से लेकर राष्ट्रपति तक इसकी गुहार कर चुके हैं , लेकिन इन्हें न्याय नहीं मिला । अपने देश की न्याय प्रणाली से स्वयं असंतुष्ट व दुखी हो कर भूख हड़ताल शुरू कर दी । देश की न्याय प्रणाली से श्री सिंह का भरोसा उस दिन उठ गया जब उन्होंने न्यायोचित कार्य किया और कोर्ट ने भी उनका साथ नहीं दिया । यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी न्याय देने के बजाय अपना दरवाजा बंद कर दिया । वर्ष १९९३ में सविल जज आनंद सिंह अलीगढ़ में नियुक्त थे । एक दिन उनके घर पर बरना थाना का थानाध्यक्ष एक व्यक्ति का रिमांड लेने पहुंचा लेकिन थानाध्यक्ष कोर्ट नहीं पहुंचा और सीधे मुख्य न्याय अधिकारी हरीश चंद्र अरोड़ा से आरोपित व्यक्ति के लिये दो बार
रिमांड ले लिया । तीसरी बार रिमांड लेने के लिये वह श्री सिंह की कोर्ट जा पहुंचा ,जहां पुलिस ने अपनी हिरासत में रखे गये आरोपित के बयान पर रिमांड मांगा लेकिन श्री सिंह ने रिमांड देने को कानून के विरुद्ध ठहराते हुए अभियोजन पक्ष(पुलिस) को ३४० का कारण बताओ नोटिस दे दिया । श्री सिंह के इस फ़ैसले से उनके जीवन में परेशानियों का सिलसिला शुरू हो गया .......................
खबर तो लम्बी है इसलिए मैने इस बात की पड़ताल खुद करने का फ़ैसला करा तो जान कर दिमाग की \\=//**॒॓॑ हो गयी । आप सब भी नतीजा जान लीजिये कि जस्टिस आनंद अब तक उसी पीड़ा से जूझ रहें हैं और उनका परिवार यानि भाई ,पिता वगैरह भी इतना कष्ट झेल चुके हैं कि उनके इरादे चट्टानी हो चले हैं और संविधान पर अटूट विश्वास रख कर लड़ाई जारी रखे हैं ।
अब देखना यह है कि आप सब भड़ासी मिलकर क्या करते हैं जो इस देश के न्याय प्रणाली में बैठे लोगों को कानून का पालन करने के लिये बाध्य कर पाए या फिर बस विधवाओं की तरह छाती पीट कर रह जाएंगे । मैं आप सबको उनके जुझारू भाईयों में से एक का मोबाइल नंबर लिख रहा हूं ,आप बस उन्हें एक SMS कर दीजिए कि हम बस भंकस करने वाले नहीं हैं (यार आप लोग यकीन करो कि मैंने पैसे नहीं लिये हैं जैसा कि पत्रकारों पर लोग सामान्य तौर पर सन्देह करते हैं) 09892836613
18.1.08
जस्टिस आनंद सिंह
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2 comments:
thank's sir. main Rashtriya sahara me sub eïitor hu. mujhe khushsi hui ki aapne rashtriya sahara padha.
श्रीमान जी ,धन्यवाद पर अब इसका फ़ालोअप तो लीजिए । इतने से काम नहीं चलेगा ।
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