यारों, आज एक और चमत्कार हो गया। आलोक पुराणिक के बाद आज मेरे घर यशवंत नामक ब्लॉगर जी आए और मैंने बाकायदा उनको गण्डा बांधकर उनकी चेलाई स्वीकार कर ली। अब मैं भीर भड़ासी हो गया हूं। आप सबकी सूचनार्थ सादर।
मेरा प्रोफाइल आप देखकर मेरे बारे में जान सकते हैं। मेरा भी कछु हमरी सुनि लीजै नामक एक ब्लॉग है।
अब एक बात और........ सोचा जा रहा है कि हरिद्वार में होली के आसपास एक ब्लागर्स मीट का आयोजन गंगाघाट पर किया जाए। कलकल करती पावन गंगा के ऊपर से जब वासंती हवाएं आप हम सबकों छू छू कर बहेंगी तो ब्लॉगर्स का मन भी कुछ नया नया करने का होगा। आप लोग बताएं कि यह प्रस्ताव कैसा है ?
सादर
कमलकांत बुधकर
31.1.08
गंगाघाट का नया भड़ासी
Labels: कछू हमरी सुनि लीजै, भड़ास, शब्दावली
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7 comments:
गुरुदेव जल्दी से योजना बनावें, ताकि टिकट बुक कराई जा सके, स्वागत है आपका
अरे ई का भया मामाजी,
गज़ब हुई गवा।
हमका आशा ही नही वरन विश्वास है आप इहां इत्ते चौके छक्के मारोगे कि भड़ासी नही बल्कि भड़ास गुरु कहलाओगे पक्का।
दर-असल मुझे लगता है कि इतने बरसों से जो आपके मन में है और सामने नही आया है अगर भड़ास जैसे मंच के माध्यम से सामने आया तो वाकई आप भड़ास गुरु कहलाओगे।
इंतजार रहेगा।
बहुत अच्छा प्रस्ताव है मामाजी;
दिन तय कर लीजिये. वाकई मजा आ जायेगा
आशीष भइया ठीक कह रहे हैं आपके सत्संग के साथ-साथ थोड़ा गंगा स्नान करके अन्जाने में हुए पाप धोने का मौका मिलेगा । अंतःस्तल की गहराईयों से प्रेम सहित स्वागत है कभी मामा मारीच की राजधानी मुंबानगरी पधारिए.....
हाँ एक बार तो आप सब महानुभावो के दीदार होंगे
और वैसे एक बात है मज़ा आएगा मतलब इस तरह के लिखने वाले एक साथ बैठेंगे तो .....................
बहुत जमेगी जब मिल बैठेंगे आप हम और
बैगपाईपर, हन्ड्रेड पाईपर, शिवास रीगल,
एट पी एम, रायल चैलेन्ज, ग्रीन लेबल
और भी ना जाने क्या क्या।
लेकिन गंगा घाट नही मसूरी रखियेगा ये मीट।
हा हा हा हा॥।
बुधकर जी जरा जल्दी कीजिऐ हरि के द्वार में ही संगम हो जायेगा कही ऐसा न हो कि विचार बदल जायें और जो इच्छा जागृत कर दी है वह अपूर्ण ही रह जायें
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