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16.1.08

मेरी माँ

मेरी माँ मैं कभी बतलाता नहीं पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ यूँ तो मैं दिखलाता नहीं तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ तुझे सब हैं पता हैं न माँ तुझे सब हैं पता..मेरी माँ भीड़ में यूँ न छोडो मुझे घर लौट के भी आ ना पाऊँ माँ भेज न इतना दूर मुझको तू याद भी तुझको आ ना पाऊँ माँ क्या इतना बुरा हूँ मैं माँ क्या इतना बुरा.. मेरी माँ जब भी कभी पापा मुझे जोर- जोर से झूला झुलाते हैं माँ मेरी नज़र ढूंढें तुझे सोचु यही तू आ के थामेगी माँ उनसे मैं यह कहता नहीं पर मैं सहम जाता हूँ माँ चहरे पे आने देता नहीं दिल ही दिल में घबराता हूँ माँ तुझे सब है पता है ना माँ तुझे सब है पता.. मेरी माँ मैं कभी बतलाता नहीं पर अँधेरे से डरता हूँ मैं माँ यूँ तो मैं दिखलाता नहीं तेरी परवाह करता हूँ मैं माँ तुझे सब हैं पता हैं न माँ तुझे सब हैं पता..मेरी माँ

5 comments:

sushant jha said...

अनिल, आपने दिल को छूने बाली कविता भेजी है। मुझे आपकी कविता पढकर मुनव्वर राणा का एक शेर याद आता है....

जव भी कश्ती मेरी मझधार में आ जाती है..
मां दुआ करते हुए ख्वाब में आ जाती है..
ए अंधेरा भाग जा मुंह तेरा काला हो गया..
मां ने आंखे खोल दी, घर में उजाला हो गया..
किसी को घर मिला हिस्से में, या दुकां आई..
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई..

sushant jha said...

अनिल, आपने दिल को छूने बाली कविता भेजी है। मुझे आपकी कविता पढकर मुनव्वर राणा का एक शेर याद आता है....

जव भी कश्ती मेरी मझधार में आ जाती है..
मां दुआ करते हुए ख्वाब में आ जाती है..
ए अंधेरा भाग जा मुंह तेरा काला हो गया..
मां ने आंखे खोल दी, घर में उजाला हो गया..
किसी को घर मिला हिस्से में, या दुकां आई..
मैं घर में सबसे छोटा था, मेरे हिस्से में मां आई..

राजीव जैन said...

अरे साहब

प्रसून जोशी का गीत है

तारे जमीं के लिए लिखा है

आमीर खान और दर्शिल सफारी पर फिल्‍माया गया है

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

राजीव भाई ,प्रसून जोशी का गीत है पर अगर उनके पास वक्त नहीं है तो अनिल जी ने भेज दिया। कहीं आप मान्यवर पर कविता मार देने का शक तो नहीं कर रहे हैं ?

Girish Kumar Billore said...

कुछ भी हों बात तो दिल को छू गयी रचना