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12.6.09

बाल मजदूरी की मजबूरी

शिरीष खरे

चाईल्ड राईट्स एण्ड यू

12 जून बाल-मजदूरी के खिलाफ विश्व दिवस के तौर पर जाना जाता है। भारत में बाल-मजदूरी पर प्रतिबंध लगे 23 साल गुजर गए। इसके बावजूद सबसे ज्यादा बाल-मजदूर भारत में ही हैं। एक अनुमान के मुताबिक देशभर में 1 करोड़ 70 लाख बाल-मजदूर हैं। इसमें से 80 प्रतिशत खेतों और कारखानों में काम करते हैं। बाकी खदानों, चाय बगानों, दुकानों और घरेलू कामों में हैं। इसमें से सबसे ज्यादा बच्चे शिक्षा से दूर और खतरनाक स्थितियों में काम करते हैं। देश के 1 करोड़ 70 लाख बाल-मजदूरों में से सिर्फ 15 प्रतिशत को ही मजदूरी से मुक्ति मिल पायी है। कई तरह के कानून और योजनाओं के बाद भी स्थिति नहीं बदलती, आखिर क्यों ?
ऐसा इसलिए क्योंकि कानून बाल-मजबूरी के पीछे की मजबूरियों को नहीं जानता। हर जनगणना में देश के हर हिस्से से बाल-मजदूरों की बड़ी संख्या सामने आ जाती है। इसे हम गरीबी में होने बढ़ोतरी के साथ जोड़कर देख सकते हैं। जिस देश में उन बेसहारा परिवारों की संख्या बढ़ रही हो जिन्हें जीने के लिए रोजाना संघर्ष करना पड़ रहा है, उस देश में बाल-मजदूरों की संख्या कम होना बहुत मुश्किल है। सरकार को बाल-मजदूरी के असली कारणों को जानने के लिए गरीबी की जड़ों में जाना होगा।
बच्चों के अधिकारों को लेकर काम करने वाली संस्था ‘चाईल्ड राईटस् एण्ड यू के निदेशक दीपांकर मजूमदार ने कहा- ‘‘सरकार के उस निर्णय से कुछ उम्मीद बंधी है जिसमें उसने घरेलू क्षेत्रों में भी बाल-मजदूरी पर रोक लगा दी है। लेकिन जो हालत हैं उसकी तुलना में तमाम सरकारी कार्यवाहियां सीमित नजर आती हैं। बाल-मजदूरी को जड़ से मिटाना संभव है बशर्ते सरकार उसके असली कारणों को जानने के लिए गरीबी की जड़ों तक जाए। ’’
‘चाईल्ड राईटस् एण्ड यू’ ने सरकार से यह मांग की है कि वह हर बच्चे को काम की बजाय स्कूल भेजने के लिए मंत्रालय और विभागों पर दबाव बनाए। वह ऐसा माहौल तैयार किया जाए जिससे सभी बच्चों को मुफ्त और बेहतर शिक्षा मिल सके। सभी कानूनों में बचपन की उम्र की सीमा 18 साल तक कर दी जाए। बाल मजदूरी से लड़ने के लिए हर परिवार को कम से कम रोजगार, भोजन और स्वास्थ्य का बुनियादी हक हासिल हो। ऐसे परिवारों को जायज मजदूरी, उचित मूल्य पर रोजमर्रा की जरूरी वस्तुएं और आसानी से ऋण भी मुहैया करायें जाए। साथ ही बाल-मजदूरी से जुड़े सभी कानून और सामाजिक-कल्याण की योजनाएं कारगर ढ़ंग से लागू हो।

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संपर्क : shirish2410@gmail.com

3 comments:

Unknown said...

umda !

satyandra yadav said...

aap jo aankde diye hai... mere hisab se ye bahut kam hai.... sabase badi problem hai jansankhya... 25 % ke dar se population badh rahi hai... parinam sawroop hathon ko kam nhi mil rha hai...dusri bat hai ki whi bachhe kam karte hai jo ya to anath hon ya unke gardian ko majdoori kam mil rhi ho aur jine ke liye bacho se kam le rhe hai.... mai aapki bat se sahamat hoon .... lekin prashn uthata hai ki bina population cntrol kiye kya bal majdoori ko roka ja sakta hai....hamare pas jitna kam hai usase jyada kam karne wale hath hain......

satyandra yadav said...
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