मीडिया में एक्टिव लोगों के लिए यह ख़बर निसंदेह किसी खुशखबरी से कम नहीं की, मिनिस्ट्री ऑफ़ आई बी ने २२ नए चैंनलों को मंजूरी दे दी है। कम से कम मंदी के दौर में बेरोजगार हुए कुछ पत्रकार नया जॉब पा जायेंगे। लगता है प्रणब दा का बजट मीडिया सेक्टर को कुछ राहत देगा। अब तक तो जिस किसी से बात करो, मंदी का रोना रोने लगता है। गुजरी अक्टूबर से मंदी का जो खौफनाक रूप पत्रकारों ने देखा है, वह याद रखा जाएगा। न जाने कितने पत्रकार इस दौर में उस घड़ी को कोसने लगे जिस दिन उन्होंने इस पेशे को अपनाया था। हाल के वर्षों में पत्रकारिता तो उद्योग बन गई लेकिन हिन्दी के पत्रकार जहाँ के तहां रह गए। उम्मीद करना चाहिए की दिन बदलेंगे, भले ही देर हो जाए।
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