=>ये लो, खैरात । हमारी आदत है कि पहले अपनी कुटिल नीतियों से किसी देश को भिखारी बना देते हैं, फिर उसे कपड़े, लत्तों, खाने-पीने, दवाई-दारू और छत के लिए भीख देते रहते हैं, ताकि वह कभी अपने पैरों पर दुबारा न खड़ा हो सके और हमेशा हमारे दरवाजे का वफादार कुत्ता बना रहे ।
=>शुक्रिया, शुक्रिया । बड़ी मेहरबानी आपकी । परवरदिगार आपके खज़ाने भरपूर रखे ।
=>जनरल । ये लो डालर । जाकर इन से आला दर्जे़ के टैंक, मिसाइल और लड़ाकू जहाज खरीदो । हमने बहुत पहले कसम खाई थी कि भले ही हमें घास की रोटियां खानी पड़े लेकिन हम एक हजार साल तक भारत से लड़ते रहेंगे । गरीब और भुखमरे पाकिस्तानियों को कपड़े, दवाईयों और छत की कतई जरूरत नहीं हैं । अगर इनको ये सब चीजें मुहैया करा दीं तो कम्बख्तों को इनकी आदत पड़ जायेगी । पहले कश्मीर बाद में कुछ और ।
(हाल ही में प्रकाशित हुई पैंटागन की एक रिपोर्ट के अनुसार बुश सरकार द्वारा पाकिस्तान को दी गई असैन्य सहायता को पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने में लगाया था । हैरान करने वाली बात यह है कि यह सब जानते बूझते हुए भी कुछ दिन पहले ओबामा सरकार ने पाकिस्तान की असैन्य सहायता संसद में प्रस्ताव पारित करके तीन गुनी कर दी ।)
9.6.09
अमेरिकी खैरात के दम पर युद्ध की तैयारी
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1 comment:
gazab!
kamaal!
dhamaal!
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