देहरादून। १९९४ के करनपुर गोली कंाड में मारे गये निर्दोष राजेश रावत के हत्यारे कौन हैं यह अभी भी स्पष्ट नहीं हो पाया है। जबकि यह मामला पिछले कई सालों से अदालत में विचाराधीन है। अब इस मामले को लेकर अदालत ने सीबीआई की तरफ कडा रूख अपनाते हुए गवाहों को पेश करने की तारीखें निर्धरित कर दी हैं। वहीं देहरादून के एक व्यक्ति ने नाम न छपने की शर्त पर कहा कि उस घटनाक्रम के कई फोटो भी उनके पास है। उन्होंने कहा कि करनपुर गलीकांड के कई ऐसे सबूत भी मौजूद हैं जिन्हें यदि सार्वजनिक किया गया तो दूध का दूध और पानी का पानी सामने आ जायेगा।
कुल मिलाकर इस पूरे मामले में अब भाजपा का एक गुट भी धस्माना के खिलाफ मोर्चा बांधे हुए है और उन नेताओंे का साफ कहना है कि करनपुर गोलीकांड में आंदोलनकारी मृतक रावत को तभी न्याय मिलेगा जब उनके हत्यारे को कडी सजा मिल जायेगी। इस पूरे मामले में कई नेताओं द्वारा राजनैतिक रोटियां सेकने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया और न्याय की आस पाने के लिए मृतक के परिजनों की आंखें तरस गई है। इस बारे में भाजपा नेता रविन्द्र जुगरान का साफ कहना है कि उत्तराखंड आंदोलन के दौरान सैकडों लोगों द्वारा राजेश पर गोली चलाने वाले हत्यारे को देखा गया था। सीबीआई की अदालत में भले ही ऐसे हत्यारे बरी हो जाए लेकिन जनता की अदालत में वे कभी भी बरी नहीं हो सकते। यह हत्या कांड राज्य के आंदोलन को खत्म करने का था और इस गोलीकांड का हत्यार राज्य का हत्यारा है उसे सजा अवश्य मिलनी चाहिए।
एक तरफ देशभर में १९८४ के दंगों के दौरान जगदीश टाइटलर व सज्जन कुमार जैसे कांग्रेसियों पर लगे दाग को कांग्रेस अभी तक नहीं धो पाई है ऐसे में कांग्रेसी नेता सूर्यकांत धस्माना पर लगे कथित आरोपों को किस प्रकार धोया जाएगा जिससे राज्य की जनता कांग्रेस के पक्ष में जुड सके। इस घटनाक्रम के बाद प्रदेश की राजनीति में एकाएक सरगरमी पैदा हो गई थी और प्रदेश की जनता ने सपा को मुंह तोड जवाब देते हुए विधानसभा की एक भी सीट पर कब्जा नहीं करने दिया था। तब सूर्यकंात ध्स्माना सपा में हुआ करते थे और उन पर कथित रुप से ३ अक्टूबर १९९४ को राजेश रावत की गोली चलने से मौत हो जाने का आरोप लगा था लेकिन अब कोर्ट ने २६,२७ व २८ अप्रेल को तीनों गवाहों को कोर्ट में पेश होकर अपनी गवाही देने के लिए सीबीआई पर कडा रूख अख्तियार किया है। वहीं माना जा रहा है कि सीबीआई इस मामले को लेकर गवाहों को पेश करते हुए आरोपी को सजा दिलाने के लिए पूरी जुगत में जुट गई है।
अब देखना यह है कि यह मामला अप्रैल में गवाही के बाद किस मोड पर पहुंचता है। गौरतलब है कि करनपुर के गोली कांड में उस वक्त राज्य आंदोलन के लिए सडकों पर उतर रहे आंदोलनकारियों पर उस समय गोलियां बरसायी गई थी जब वह आंदोलन के लिए करनपुर क्षेत्र में मुलायम सिंह यादव की पार्टी में रहने वाले सूर्यकांत धस्माना के आवास की ओर जा रहे थे। भीड को तितर-बितर करने के लिए कथित रुप से सूर्यकांत धस्माना की छत से आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाई गई थी और इस गोलीकांड में आंदोलनकारी राजेश रावत की मौत हो गई थी जबकि एक अन्य मोहन रावत इस गोलीकांड में घायल हो गया था। जिसके बाद घायल मोहन रावत ने कथित रुप से सूर्यकांत धस्माना पर छत से गोली चलाये जाने की बात कही थी और इस कथित रुप से गोलीकांड का मुख्य आरोपी सूर्यकांत धस्माना को बताया गया था। कई सालों से कोर्ट में चल रहे इस मामले की जब सुनवाई तेज हुई तो कोर्ट में भी गवाहों ने धस्माना पर गोली चलाने की बात कही थी। जिसके बाद उस समय सूर्यकांत धस्माना एनसीपी छोडकर कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गये थे और गवाहों ने जिस समय कोर्ट में धस्माना को गोली चलाने की बात कही थी तो उस समय कांग्रेस ने प्रदेश मीडिया प्रभारी के पद से धस्माना की छुट्टी कर दी थी और चर्चा यह भी रही थी कि धस्माना को कई कांग्रेसी नेताओं ने भी करनपुर गोलीकांड का दोषी करार दिया। अब करनपुर गोलीकांड की सीबीआई जांच कर रही है और सीबीआई के विशेष न्यायधीश की अदालत में पुलिस के विवेचना अधिकारियों सहित ६ लोग गवाही के लिए पेश नहीं हो सके उस पर भी उंगलियां उठनी शुरू हो गयी हैं। ३ अक्टूबर को हुए करनपुर गोलीकांड में तीन चश्मदीद गवाहों अजीत रावत, ध्नंजय खंडूरी और रविन्द्र रावत ने अदालत में गवाही के दौरान धस्माना के हाथ में कोई हथियार न होने की जो बात पूर्व में कही है वह उनके पूर्व के दिये गये बयानों में विरोधाभास पैदा कर रही है जबकि मोहन रावतं गोली चलाए जाने की बात कह रहे हैं। अब गवाहों के अचानक अपने बयान बदल लेने के पीछे भी राजनैतिक ड्रामा सामने आ गया है।
बताया जा रहा है कि कथित रुप से गवाहों को बदलने की एवज में लाखों रूपये का सौदा किया जा चुका है और गवाहों को तीन-तीन बीघा जमीन दिये जाने की भी चर्चाएं हैं इसके साथ ही धस्माना की छत से गोली चलाए जाने की बात पुलिस एवं अन्य गवाहों द्वारा भी की गई है तो आखिर किस आधर पर कोर्ट में गवाही देने वाले गवाहों ने छत से गोली न चलाए जाने की बात कह डाली है। इस खेल के पीछे कथित रुप से मोटी रकम का सौदा होना बताया जा रहा है।
26.2.10
आंदोलनकारी का हत्यारा बरी नहीं हो सकताःजुगरान
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