मुम्बई। हुनर किसी उपाधि का मोहताज नहीं होता और जब कोई कलाकार अपने हुनर में प्रकृति प्रेम व उससे जुड़ी भावनाएं उड़ेल दे, तो क्या कहने! कुछ ऐसा ही है रीना पटेल के तेल चित्रों में, जो रंगों की जादूगरी के जरिए समाज में प्रकृति के प्रेम व खुशहाली बिखेरने का प्रयास करते हैं। रीना ने कला के क्षेत्र से जुड़ा कोई कोर्स नहीं किया है, पर उनके शौक ने बीते 16 सालों में चित्रकला को अनूठे अंदाज में पेश जरूर किया है।
एच. आर. कॉलेज से बी. कॉम कर चुकीं रीना अपनी ऑयल पेंटिंग्स में शंख, सीप, बीड्स, टिंसेल्स आदि का इस्तेमाल इतनी खूबसूरती से करती है कि देखने वालों को पल भर के लिए लगेगा कि वे समुद्र के किसी बीच पर हैं अथवा किसी हरीभरी वादियों में विचर रहे हों। इस बार उनकी पेंटिंग्स की चौथी प्रदर्शनी वरली स्थित सन विले के दूसरे तल पर आर्किड हाल में आयोजित है। यह प्रदर्शनी 21 व 22 फरवरी को कलाप्रेमियों के लिए उपलब्ध है। इस बार की प्रदर्शनी के लिए रीना ने खासतौर पर राजस्थानी लोककला को प्रदर्शित करती पेेटिंग्स तैयार की है, जिनमें टिंसेल्स व बीड्स का बखूबी इस्तेमाल किया है। इसके अलावा पशु प्रेमी इस कलाकार ने घोड़ों के विविध मुद्राओं वाली आकृतियां टेक्स्चर्स के जरिए उकेरी हैं। साथ ही, समुद्र, पर्वतमालाओं, झील-झरनों, फुलवारियों के दृश्यों को बखूबी अपनी पेंटिंग्स में संजोया है।
इनकी चर्चा करते हुए रीना कहती हैं कि चित्रकारी उन्होंने बतौर शौक शुरू की और अब यह जुनून बन चुका है। आज भी उनकी कई पेंटिंग्स ऐसी हैं, जिन्हें उन्होंने कभी प्रदर्शित नहीं किया। इनमें उनकी पहली बार 1993 में बनी पेंटिंग भी शामिल है, जिस पर कई घोड़ों को सरपट दौड़ते हुए दिखाया गया है। उनका मानना है कि यदि कोई चित्रकार भावुक नहीं है, तो वह कभी भी अपनी कल्पनाशीलता को अंजाम तक नहीं पहुंचा सकता। यहीं वजह है कि वे अपने मूड के हिसाब से पेंटिंग्स बनाती हैं और फिर उनमें अपनी समस्त भावनाएं उड़ेल देती है। उद्योगपति पिता की इकलौती संतान रीना की मां अब इस दुनिया में नहीं हैं। इसीलिए उनका मानना है कि इस दुनिया का सबसे बड़ा सुख खुशहाली है, जिसे वे अपनी पेंटिंग्स के जरिए फैलाने की कोशिश करती हैं।
20.2.10
चित्रों के जरिए खुशहाली का संदेश
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