होली का मौसम चल रहा है। हर तरफ होली की छठा देखने को मिल रही है। ऐसे में अगर नाच गाना कीर्तन न हो ये कैसे हो सकता है। होली के आते ही हर किसी के मन में अल्हड़पन की की उमंग झूमने लगती है। और लोग कैसे भी इसका आनंद उठाना चाहेंगे। लिहाज़ा ट्रेन में भी रोज सफ़र करने वाले यात्री की कीर्तन मण्डली भी इससे महरूम नहीं है। बीते बुधवार को मुझे किसी काम से नई दिल्ली जाना पड़ा और मुझे वापस इ ऍम यू ट्रेन से घर आना था तो मैं कीर्तन वाले कोच मैं बैठ गया। मैंने देखा कि मण्डली ने अभी से होली के गीत गाने शुरु कर दिए है और लोग जम कर ठुमके लगा रहे है। इसके साथ ही वो लोग ढोलक, मंजीरे, ताली बजा कर मौके का फायदा उठा रहे थे। हर कोई अपनी और से अलग ढंग से आनंद ले रहे थे। दौडती भागती इस जिंदगी मैं किसी को भगवन का नाम लेने कि फुर्सत ही नहीं मिलती है। कम से कम रेल में ही वो लोग सफ़र के दौरान अपने इश्वर का नाम पुकार रहे है। और होली करीब आते ही वो इसके रंग में दिखाई दे रहे है। यहाँ मण्डली का प्रत्येक यात्री बीते काफी समय से गीत गा रहा है। इस मण्डली का नाम श्री राम जय हनुमान मित्र मंडल ट्रेन सर्विस गाज़ियाबाद संग कीर्तन है।
जिसके संचालक राजकुमार और श्रीचंद है। इस मण्डली ने अपना विजिटिंग कार्ड भी छपवा रखे है। लेकिन ये इससे किसी तरह का व्यवसाय नहीं करते है।कीर्तन वाले इस डिब्बें में अन्य डिब्बे के मुकाबले काफी भीड़ भी दिखाई देती है। इससे ये जाहिर होता है कि लोगों में अभी भी भगवान के प्रति आस्था है। खुद मैनें भी इन लोगों के साथ मिलकर भजन कीर्तन गाने में उनका साथ दिया। कुल मिलाकर मैनें उस समय का पूरा आनंद उठाया और उनके फोटों भी खीचें। ट्रेनों में इस तरह का गाना बजाना केवल इसी गाड़ी में नहीं लगभग हर पेसेंजर रेल में 2 से 3 मंडलियां होती है, जो भगवन नाम के कीर्तन भजन कर अपना सफर पूरा कर जिंदगी को सार्थक बनाने का प्रयास करते हैं।मैं आमतौर पर ब्लाग लिखता हूं, और मेरे पास कैमरा भी था तो मैनें तुरंत कैमरा निकालकर उस स्टोरी को आयाम देने का प्रयास किया है।
धन्यावाद।
सूरज सिंह
25.2.10
ट्रेन में होली धूम
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