स्नेह मधुर-
अमृत प्रभात और Northern India Patrika ( NIP) का एक ज़माना था। लेकिन मालिकों की चालबाज़ियों और धोखाधड़ी का शिकार हो गए सैकड़ों कर्मचारी और पत्रकार। वेतन नहीं मिला, वेतन कम हो गया। कर्मचारियों के वेतन से भविष्य निधि यानी Provident Fund की कटौती तो कर ली जाती थी लेकिन कंपनी अपना अंशदान देने की जगह कर्मचारियों के वेतन से काटी गई रकम को भी PF ऑफिस में जमा नहीं करती थी।
यह सब गड़बड़ियां तब की जाती थीं जब इस अखबार की तूती बोलती थी।
कांग्रेस की सरकार थी और कांग्रेस के मंत्रियों का हरदम आना जाना लगा रहता था पत्रिका के दफ्तर में। पत्रिका के मालिक भी कांग्रेसी थे, सांसद थे। फलस्वरूप कांग्रेस के राज में पत्रिका को विज्ञापन भी खूब मिलते थे।
चारों तरफ से कमाई है कमाई थी लेकिन नई जेनरेशन में मिशन की भावना नहीं थी। उसकी जगह उनके जेहन में लूट के बीज अंकुरित होने लगे और पत्रिका डूब गया।
जो एक वक्त में योद्धा थे, समाज के लिए अनुकरणीय थे, आदर्श थे, समर्पित थे अपने काम के प्रति, वे आज बेचारे बन गए हैं, अभिशप्त समझे जाते हैं। क्या यही नियति है?
https://youtu.be/IzNf3JIeiMQ
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