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2.4.21

दैनिक भास्कर : HR की मनमानी और सैलरी कटौती से परेशान हो रहे कर्मचारी

bhaskarhindi.com ये डिजिटल वेबसाइट दैनिक भास्कर के जबलपुर - नागपुर समूह की है। समूह के मालिक मनमोहन अग्रवाल हैं, जो कि भोपाल शहर का एक प्रतिष्ठित नाम है। उनकी संस्था और उनके नाम को उन्हीं की संस्था में काम करने वाले कुछ लोग धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं। जी हां आपने ठीक पढ़ा। दरअसल मैनेजमेंट ने यहां पर एच आर और ऑफिस मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारी जिस व्यक्ति को दी है, वह कर्मचारियों का लगातार शोषण करने में लगा हुआ है।


दैनिक भास्कर हिन्दी से काम छोड़कर जा चुके कर्मचारियों का कहना है कि बिना किसी बात के उनका पैसा काटा जाता है, संस्था छोड़ने पर उन्हें सैलरी भी पूरी नहीं दी जाती है। यदि कोई कर्मचारी इसके खिलाफ आवाज़ उठाने की कोशिश करता है, तो उसको टारगेट किया जाता है और संस्था से निकालने की धमकी दी जाती है। लंबे समय से एच.आर के पद पर बैठा पवन मालवीय  संस्था के साथ सिर्फ नमकहरामी कर रहा है। काम के नाम पर मालिक को फर्जी रिपोर्ट दिखाता है। फर्जी बिल बनाकर संस्था का पैसा अपनी जेब में भरता है। अगर संस्था इससे एक-एक पैसे का और वेबसाइट से होने वाले फायदे का हिसाब मांग ले या किसी भी तरह से जांच कराए तो पवन मालवीय की हकीकत सामने आ जाएगी। लेकिन संस्था का ध्यान इस ओर है ही नहीं।

संस्थान छोड़कर जा चुके एक कर्मचारी ने बताया कि उसे पैसा समय पर नहीं मिला और पैसा मांगने पर कोर्ट से नोटिस देने की बात कही गई। इसके अलावा कई तरह की धमकियां देकर उस पर मानसिक दबाव बनाया गया। वहीं दफ्तर में काम करने वाले चपरासी को भी वेतन नहीं दिया गया, और जब चपरासी ने अपना बकाया पैसा मांगा तो पवन मालवीय ने उसके साथ गाली - गलौज कर उसे दफ्तर से ही निकाल दिया। ख़ैर वह तो रोज़ ही उस चपरासी के साथ दुर्व्यवहार करता था, जिस दिन चपरासी की पत्नी अपने बच्चे को अस्पताल में जन्म दे रही थी, उस दिन पवन मालवीय ने उसे छुट्टी तक नहीं दी और उस दौरान बेवजह उसकी सैलरी भी काट ली।

पवन मालवीय का वहशीपन यहीं ख़त्म नहीं होता। संस्थान में कार्यरत कुछ युवतियों को पवन मालवीय सैलरी इंक्रीमेंट का ऑफर देता है, लेकिन इसके बदले वह अनुचित और अनैतिक शर्तें भी रखता है। इस दरिंदगी के चलते बहुत सी युवतियों को जॉब छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा। युवतियों को लुभाने के लिए वह कई तरह के हथकंडे आजमाता है, जैसे - यदि कोई युवती भले ही 10 दिन की छुट्टी पर चली जाए, लेकिन वह संस्था की पॉलिसी के खिलाफ़ उसकी सैलरी में कोई कटौती नहीं करता।

यदि कोई कर्मचारी मनमोहन अग्रवाल जी से मिलने के लिए जाना भी चाहता है तो एचआर के पद पर बैठा पवन मालवीय उन्हें वहां जाने से किसी ना किसी तरह रोक लेता है। दरअसल मनमोहन अग्रवाल जी के दफ्तर में काम करने वाले चपरासी से भी पवन मालवीय ने सेटिंग करके रखी है।

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