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2.3.23

जनतंत्र टीवी ने खाया मेरा हक

 जब मैंने जनतंत्र टीवी जॉइन किया तो बड़ी उम्मीदें थी। कुछ अच्छा करने और कुछ रोचक करने का मन लेकर सेक्टर 4 स्तिथ जनतंत्र टीवी के ऑफिस पहुँचा लेकिन यहां पहुँचकर पता चला कि मैं एक जाल में फंस गया हूँ। क्योकि यहां 2 माह बाद यहां सैलरी मिलती थी कभी कभी दो बार मे मिलती है इससे पहले की कुछ समझ पाता मैंने निर्णय लिया कि यहां 6 माह नोकरी करूँगा और इस बीच दूसरी जगह नोकरी की तलाश करता रहूंगा।

जनतंत्र टीवी में जिस प्रकार पत्रकारों का शोषण हो रहा है वैसा मैंने कही नही देखा। जैसे ही मेरे 6 माह पूरे हुए मैंने इस्तीफा दे दिया लेकिन इस्तीफ़ा स्वीकार होने के 90 दिन बाद बड़ी मुश्किल से मुझे मेरी एक माह की सैलरी मिली वो भी एक नो ड्यूज लेटर पर हस्ताक्षर कराया गया जबकि मेरा 6 माह का पीएफ जनतंत्र कम्पनी ने जमा ही नही कराया था। जब इस बारे में एचआर दीक्षा मिश्रा से पूछा तो उसने कहा वो एक माह में जमा करा देंगे। उसका आश्वाशन एकदम झूठ था और उसे एलम था कि वह जमा नही कराएगी फिर भी उसने मुझसे झूठ बोल उसके झूठे आश्वाशन को सच मानते हुए मैने उस नो ड्यूज लेटर पर एक नोट (मेरा अभी 6 माह का पीएफ कम्पनी पर बकाया है)के साथ हस्ताक्षर कर जमा कर दिया, क्योकि मुझसे कहा गया कि यदि आप इसपर हस्ताक्षर नही करोगे तो आपको आपकी एक माह की सैलरी भी नही मिलेगी। अब मरता क्या ना करता एक नोट के साथ हस्ताक्षर कर दिए और एक माह का चेक प्राप्त कर आ गया। लेकिन अब 6 माह से अधिक हो गया है। जनतंत्र टीवी ने मेरा पीएफ जमा नही कराया है, जोकि रुपये 10500 बनता है। अब ऐसे न्यूज चैनल के खिलाफ क्या कार्यवाही करनी चाहिए यह मैं नही समझ पा रहा हूँ, क्योकि मैंने सुना है कि इस न्यूज चैनल ने अपने अन्य कर्मचारियों का भी पीएफ जमा नही कराया है। और पीएफ विभाग से जो अफसर आते है वो मोटा माल लेकर चलते बनते है। फिर क्या किया जाए ऐसे न्यूज चैनल के खिलाफ जो मेरे पैसे मिल जाये। इस सबके बावजूद मैंने नोटिस किया कि जनतंत्र टीवी का मालिक अमित वेद एक अच्छा इंसान है। लेकिन बीच मे कुछ गलत लोग है जो हरामखोरी कर रहे है।

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