अपने मित्र अनिल ने एक मेल भेजा, जिसमें ये तस्वीरें थीं। हालांकि आप लोगों को पता ही है, सिगरेट का मुझे कभी शौक नहीं रहा। कभी कभार जब अपने मेरठी मित्र मनोज झा सुट्टा मारने के लिए थमाया करते थे तो उनसे सीखा करता था, उससे पहले आगरा में अपने अनिल बाबा से ट्रेनिंग लेने की कोशिश की पर इन दोनों बाबाओं का चेला नहीं बन पाया क्योंकि वे मुझे सिगरेट पीना सिखा न सके। तो भाइयों, सिगरेट पीने वालों का कितना बुरा हश्र होता है, इन तस्वीरों को देखकर जाहिर है। अभी कल ही नवभारत टाइम्स में खबर थी की 14 साल ज्यादा जीना हो तो सिगरेट तुंरत छोड़ दो, दारू कम कर दो (ध्यान दें, छोड़ने के लिए नहीं कहा गया!), हरी सब्जियां और फल खाएं, एक्सरसाइज रेगुलर करें। तो इन चार फंडों में से एक फंडे मतलब सिगरेट छोड़ दो का पहले से ही पालन करता हूं। हरी सब्जी फल गाहे बगाहे खाता ही रहता हूं, थोड़ा और खाया करूंगा। दारू नए साल से इतनी कम कर दी है कि पीना न पीना अब न के बराबर हो गया। बस वीकेंड में चिकन मटन या फिश के साथ दो पैग। और एक्सरसाइज का हाल ये है कि सुबह जब एक घंटे कूद काद कर और मुंह फुलाकर सांस निकालकर पेट हिलाकर जब शांत होता हूं तो शरीर पसीने पसीने हो चुका होता है। तो भइया, अपन ने तो उमर के चौदह साल बढ़ाने के पूरे जतन कर दिये हैं बशर्ते उपरवाला कहीं सड़क पर न टपकवा दे या भाई लोगों को सुपारी न दिला दे....:):)
और हां, एक खुशखबरी तो देना भूल ही गया। रजनीगंधा तुलसी का मैं इतना लती था कि पूछो मत। लेकिन नये साल की पहली तारीख से बिलकुल बंद कर रखा है और अब तो इसकी याद भी नहीं आती।
मेरा आप सभी भड़ासियों से अनुरोध है कि सिगरेट अगर सीख रहे हो तो प्लीज न सीखो। सिगरेट खूब पी रहे हो तो बिलकुल कम कर दो। कई दिनों से कम कर चुके हों तो छोड़ने की तारीख तय कर लें.....छब्बीस जनवरी। गणतंत्र दिवस के दिन सिगरेट छोड़ दो राष्ट्र-समाज-खुद के प्रति इससे बड़ा कमिटमेंट भला और क्या हो सकता है।
जय भड़ास
यशवंत
10.1.08
गणतंत्र दिवस से छल्ले बनाना छोड़ दो
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