चुटकुलों पर भी बाजार का आसर है। इन्हें बनाने में काफी दिमाग लगाया जा रहा है। मेरे कई मित्र हैं जो गाहे बगाहे चुटकुले भेजते रहते हैं। ये वेज भी होते हैं और नानवेज भी। इनमें से कुछ ऐसे चुटकुले आए हैं जिन्हें यह सोचकर अभी तक रखे हूं कि इन्हें भड़ास पर डालूंगा (इसका मतलब बाकी भड़ासी भाई यह न लगा लें कि यहां नानवेज चुटकुले डालने की छूट है) पर टेम नहीं मिल पा रहा था। अब जबकि ब्लागिंग में नए साल के पहले ही दिन से लंगोट बांध के उतरा हुआ हूं और यह आग जल्द ही एकाध दिन में बुझने वाली है तो इस बहती गंगा में हाथ धोते हुए उन चुटकुलों को भी यहां आप भड़ासियों को पढ़ा ही देता हूं। इन चुटकुलों को में आपको इस समय के समाज, बाजार और माहौल की झलक मिलेगी जिन्हें आमतौर पर बातचीत का विषय तो बनाया जाता है लेकिन लिखने से परहेज किया जाता है....
खैर...ये चुटकुले इस तरह हैं..
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पहला वाला...
रामलाल ने ठाकुर साहब से कहा- ठाकुर साहेब, ठाकुर साहेब...गब्बर सिंह ने बहू रानी की इज्जत लूट ली है।
ठाकुर साहेब- तो?
रामलाल- बहू रानी पूछ रही हैं कि गब्बर से बदला लेना है या पेमेंट?
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उपरोक्त चुटकुले को एक मित्र को फारवर्ड किया तो उनका जवाब इस तरह आया--
ठाकुर साहेब- बदला फिल्म में ले लिया था, अब पेमेंट ले लो।
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दूसरा वाला...
लड़का- तुम गाना बहुत अच्छा गाती हो।
लड़की- नहीं, मैं तो सिर्फ बाथरूम सिंगर हूं।
लड़का- तो बुलाओ ना कभी, महफिल जमाते हैं।
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तीसरा वाला...
पहली औरत- आपके पति रोज टाइम पे घर कैसे आ जाते हैं?
दूसरी औरत- मैंने उनसे कह रखा है कि कार्यक्रम ठीक 9 बजे शुरू हो जाएगा, चाहे तुम घर आओ या नहीं?
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चौथा वाला...
सरदार जी थ्री एक्स मूवी देख रहे थे। उन्होंने देखा कि फिल्म में तो उनकी पत्नी है। फिल्म जब खत्म हुई तो उन्होंने लंबी सांस लेते हुए कहा- उपर वाले का शुक्र है, यह केवल फिल्म ही थी।
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और अंत में....
हच अब वोडाफोन हो गया
नाम बदल गया
कंपनी बदल गई
पिंक से रेड हो गए
लाखों रुपये लग गए
फिर भी रहे साले कुत्ते के कुत्ते ही
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2.1.08
(कुछ वेज और नान वेज) ... रहे साले कुत्ते के कुत्ते ही
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