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30.6.09

दूसरों के लिए खड्डे खोदने वाला खुद गिरता है खड्डे में

एक पुरानी कहावत है की जो दूसरों के लिए खड्डे खोदता है , वह ख़ुद भी खड्डे में गिर जाता है। अब किसी को
किसी के लिए खड्डे खोदने की जरूरत नहीं है। इस देश की सड़कों का ये हाल है कि चारों तरफ़ खड्डे ही खड्डे
दिखाई देते है। कोई भी कभी भी किसी भी खड्डे में गिर सकता है। हर बरसात में सड़कों पर पानी भर जाता है।
कुछ दिन पहले ही ठेकेदारों द्वारा बने गई सड़के उधड चुकी होती है। जगह जगह खड्डे हो जाते है। आए दिन कोई नाकोई खड्डों में गिरता है। इस से न तो हमारी सरकार के कानों पर जूं रेंगती है और न ही प्रशासन पर
कोई असर पड़ता है. लेकिन दुःख जब होता है। जब छोटे छोटे बच्चे खड्डों में गिर जाते है और कई घंटों तक खड्डों में फंसे रहते है , मां -बाप की साँस अटकी रहती है , कोई भरोसा नहीं होता की बच्चा जीवित भी बचेगा
या नहीं .लोग नल-कूप लगाने के लिए साठ - साठ फीट गहरे खड्डे खुदवा लेते है, पानी नहीं निकले पर खड्डों को खुला छोड़ देते है. खेलता हुआ कोई बच्चा उसमे गिर जाता है। अब ऐसी घटनाएँ आयेदिन होने लगी है।
लेकिन अभी तक न तो खड्डे ख़ुदवाने पर कोई रोक लगी है नाही जमीन के नीचे कम होते पानी के दोहन पर
किसी प्रकार की पाबन्दी है। पानी जमीन के नीचे और नीचे चला गया,लोग गहरे और गहरे खड्डे खोदते
जा रहें है।
तीन वर्ष पहले हरियाणा के एक गाँव में नल - कूप के लिए खुदे खड्डे में प्रिन्स नाम का एक चार वर्षीय
बच्चा गिर गया था। दो दिन बाद सेना की मदद से उस बच्चे को जीवित बाहार निकाला गया। विभिन्न चैनेलों
ने इस घटना को बहुत महत्व दिया । खूब शोर मचा पर क्या हुआ , इस के बाद भी ऐसी घटनाएँ होती रही ।
चैनेलों की भी इन घटनाओं में विशेष रुचि नहीं रह गई । पिछले दिनों राजस्थान के दोसा जिले के गाँव में
ऐसे ही एक पचास फीट गहरे खड्डे में चार वर्ष की एक बच्ची गिर गई । यधपि प्रशासन ने चोबीस घंटे की
मशक्कत के बाद उस बच्ची को बाहर निकाल लिया । किंतु खड्डा खोदने वालों के खिलाफ क्या कार्यवाही की गई। क्या भविष्य में भी ऐसे ही खड्डे खोदे जाते रहेंगे । बच्चे गिरते रहेंगे। अब खड्डे खोदने वाले ख़ुद खड्डों में
नहीं गिरते है. -

1 comment:

Admin said...

यही विडम्बना है.. अब तो कहावते भी पीछे छूट गयी