अंदाज ए मेरा: बरगद और मैं....: "सेकंड, मिनट, घंटा, दिन, महीना, और साल.....। न जाने कितने कैलेंडर बदल गए पर मेरे आंगन का बरगद का पेड वैसा ही खडा है अपनी शाखाओं और टहनियों क..."
30.4.11
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
अंदाज ए मेरा: बरगद और मैं....: "सेकंड, मिनट, घंटा, दिन, महीना, और साल.....। न जाने कितने कैलेंडर बदल गए पर मेरे आंगन का बरगद का पेड वैसा ही खडा है अपनी शाखाओं और टहनियों क..."
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