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22.4.11

मुझको तड़पता छोड़कर

कभी आकर तेरा मुझको तडपता छोड़कर जाना ,
मुझे है याद अबतक वो तेरा मुह मोड़कर जाना ।
मेरे आंसू मेरी आहों का मतलब क्या निकलता है ?
बड़ा आसान था तेरे लिए दिल तोड़कर जाना ।
बुझा दो फूँक से अपनी हमारी जिन्दगी का लौ ,
कहाँ तक ठीक है इसको फडकता छोड़ कर जाना ।
तेरी तस्वीर आँखों में ,तुम्हारी महक साँसों में ,
अदाओं पे तेरी दिल को धडकता छोड़कर जाना ।

3 comments:

KUNWAR PREETAM said...

Badhai ho.
bahut khub likha hai.ati sundar.

prakash
kolkata

sangeeta modi shamaa said...

nice one...................

Dr Om Prakash Pandey said...

Dhanywaad!Shammaji aur Preetamji.