नई चेतना
नई चेतना, नई आस है
नव बेला की सांझ नई
लोग खड़े हैं राष्ट्र सृजन को
कलुषित मानव हुए विकल
भांति-भांति के तर्क हैं गढ़ते
कहते इससे क्या हो सकता
मंजिल की है बातें करते
चलने पर बेचैनी
बेखौफ जवानी की अंगड़ाई
परिवर्तन का मार्ग प्रसस्त हुआ
प्रथम कदम है शुरूवात
नव उषा की मादकता है
इसकी सुगन्ध में नव जीवन की।
जागी है उम्मीद नई।।
अन्ना हजारे के आन्दोलन को समर्पित और उन लोगों को जिन्होंने भ्रष्टाचार से लड़ने की ठानी।
एम. अफसर खान सागर
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