नज़र नज़र का फेर: रैली नहीं रैला है...: "रैली नहीं रैला है, बैग जो हांथ में है बैग नहीं थैला है घर वाली है घर में बैठी, दिल्ली जो साथ आयी वो मेरी लैला है... 'शिशु' इन रैली से संसद..."
14.4.11
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
नज़र नज़र का फेर: रैली नहीं रैला है...: "रैली नहीं रैला है, बैग जो हांथ में है बैग नहीं थैला है घर वाली है घर में बैठी, दिल्ली जो साथ आयी वो मेरी लैला है... 'शिशु' इन रैली से संसद..."
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