Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

15.4.11

हल्ला गुल्ला...: बचपन

पानी में खेलते इन बच्चों को देखकर यारो हमें अपना बचपना याद आ गया। अपने छोटे पन में स्कूल से आते वक्त हमे कोई तालाब या नहर मिलता था तो हम और हमारे सखा लोग खूब मस्ती किया करते थे। इनकी अल्हडता और इस अल्हडता में नहाना और साथ में आपस में प्यार भरी उद्दण्डता को देखकर ये ऐहसास हुआ कि इस कायनात में मोहब्बत और अपनापन अभी भी है और आज इन बच्चो को देखकर ऐ और भी पक्का हो गया कि कि पानी कि चाहे कुछ बूंदे ही हो लेकिन उन बूंदो में अपनापन और शालीनता थी। तो भाई हम भी ना रुक पाएं और ना हमारा कैमरा ही रुक पाया और खींच ली कुछ तस्वीरे।

No comments: