मित्रों पिछले दो दिनों मेरे दो पत्रकार मित्रों पर बडे भारी गुज़रे।पहला वाकया जहां शाहजहांपुर उ०प्र०के दैनिक आज के के प्रतिनिधि 'जगेंद्र सिंह' का है वहीं दूसरा मामला राजधानी दिल्ली के भडास४ मीडिया बेवसाइट के संचालक यशवंत सिंह का है।दोनो ही पत्रकारों पर पत्रकारों ने ही केस दर्ज़ कराया है।दोनो ही पत्रकारिता जगत के भ्रष्टाचार पर बेबाकी से लिखते रहे हैं।'जगेंद्र सिंह 'का रिकार्ड है कि वे किसी समाचारपत्र में ६ माह से ज़्यादा टिक नही पाते तो यशवंत सिंह भी ऐसी परिस्थितियों से दो चार होकर प्रिंट मीडिया से अरसे पहले तोबा कर चुके हैं।जगेंद्र सिंह पर आरोप है कि उन्होने मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी तो यशवंत सिंह पर आरोप है कि उन्होने देर रात अश्लील एस०एम० एस० किये और ब्लैक मेलिंग करने की कोशिश की।दोनों ही मामलों में पुलिस ने अपनी छवि के विपरीत अत्यंत त्वरित गति से कार्यवाही की।यशवंत सिंह जेल में हैं तो जगेंद्र सिंह भी कभी भी गिरफ्तार हो सकते हैं।
इन दोनो पत्रकारों को जितना मैं जानता हूं उसके आधार पर विश्वास से कह सकता हूं कि आप इन्हें अडियल,सिरफिरा,ज़िद्दी,सनकी या ऐसे किसी भी विश्लेषण से नवाज़ सकते हैं पर ये अपराधी नही हो सकते।अपनी शर्तों पर काम करने के आदी ये पत्रकार पत्रकारों की उस ज़मात से अलग हैं जो किसी राजनेता का थप्पड खाकर उसके प्रतिफल में १ करोड का फ्लैट लेकर मौन हो जाते हैं।
इन दोनो पत्रकार मित्रों के बारे में अंतिम निर्णय तो न्यायालय ही करेगा पर हमारे देश में न्याय व्यवस्था जिस तरह काम करती है वह किसी से ढका छिपा नहीं।न्याय मिलने से पूर्व व्यक्ति विशेष रूप से ऊर्जावान व्यक्ति की प्रतिष्ठा और ऊर्जा किस कदर नष्ट हो जाती है यह हम सब जानते हैं।मैं आशा करता हूं कि इस काजल की कोठरी से मेरे दोनो मित्र जगेंद्र सिंह और यशवंत सिंह सही सलामत वापस निकल आयेंगे पर मीडिया ज़गत को भी गंभीरता से अपने बीच के सच्चे और अच्छे लोगों के बारे में सोचना चाहिये ओछी गुटबाज़ी और प्रतिद्वनदिता से ऊपर ऊठकर।
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