हमारे लिए इस दौर के लिए कुछ सबक.....आमीन.....!!
बस एक बात बता दे मेरे पगड़ी वाले भाई.....अगर तूने कोई करप्शन नहीं किया है तो ये थेथरई काहे की....लोकपाल ला दे ना.....इसमें दिक्कत क्या है भला.....जैसे मिलजुलकर राष्ट्रपति दे दिया...वैसे ही एक लोकपाल भी दे दे.... !!
एक और बात बता मेरे पगड़ी वाले भाई.....क्या जंतर-मंतर पर बैठे लोग पागल हैं....??वहशी हैं....??दरिन्दे हैं....कि राक्षस.....??....या फिर निजी रूप से तेरे दुश्मन.....??......यार क्या तू और तेरी टीम ही देश की सच्ची खेवनहार है.....??बाकी सब चोर हैं....??अरे यार.....तू इतना बड़ा पढ़ा-लिखा अर्थशास्त्री है.....काहे को ये निर्लज्जता भरी बेईमानियाँ कर रहा है यार....??.....जब सारा देश पुकार रहा है....अन्ना....अन्ना.....अन्ना .....और तू और तेरी टीम शर्म-हीन बयान दे रही है.....अरे यार कुछ तो रहम करो....देश पर नहीं तो खुद पर ही....उम्र के अंतिम पायदान पर भी क्या तुम लोगों को बुद्धि नहीं आती....!!??
एक सवाल मन को हमेशा मथता रहता है...कि जो दर्द वतन के लिए सबको होता है......वो भारत के रहनुमाओं को कभी भी क्यूँ नहीं होता....क्या वो मिटटी खाते हैं कि टट्टी.....!!??
अब एक बात आप सब बताईये ना दोस्तों....अगर अगर आपके पास ढेर सारा पैसा हो मगर आपके कामों के कारण आपके वतन की संसार में कोई इज्ज़त ही ना हो तो आप क्या ज्यादा पसंद करेंगे.....अपना पैसा.....या वतन की इज्ज़त ??
मैं अन्ना बोल रहा हूँ.....केवल सत्ता ही नहीं.....हम सब भी अपने-अपने स्तर पर तरह-तरह की हरामखोरियाँ-बेईमानियाँ और करप्शन करते हैं.....और यह समाज के प्रत्येक स्तर पर होता है.....आन्दोलन के इस चरण में अपने भीतर झाँक कर हम सब अपने भीतर देखकर अपने बारे में भी सोच लेन कि हममें से कौन कितना बड़ा कमीना है !!
आप ऐसा मत कहिये कि मैं आपलोगों के प्रति कुछ कड़े अथवा असंसदीय शब्दों का उपयोग कर रहा हूँ....सच तो यह है कि जब तक हम खुद के प्रति कड़े नहीं हो जाते.....तब तक धरती पर कोई भी आन्दोलन सार्थक नहीं हो सकता !!
सिर्फ एक मेले या मीनाबाजार की तरह कहीं किसी जगह विशेष पर भारी भीड़ कर देने से कुछ हल नहीं होने को....अगर हम नागरिक भी भ्रष्ट हैं तो लोकपाल तो क्या उसका बाप या उसके बाप का बाप भी इस देश का उद्धार नहीं कर सकता......!!
एक बात जान लीजिये मेरे देश के इज्ज़त-परस्त नागरिकों.....आज हम जो सत्ता को गालियाँ दे रहे हैं.....दिए जा रहे हैं....मगर हम खुद भी कौन से ऐसे पाक-साफ़ हैं....और ऐसा कौन सा काम हमने किया है जिससे हमारा खुद का कोई देश-प्रेम या वतनपरस्ती साबित होती है....??खुद हरामी रहकर दूसरों को उपदेश देने वाले हम....कल को सोचिये कि हमारे बच्चे ही हमसे पूछ बैठे कि "क्या पापा आप भी....??मैंने तो सोचा भी नहीं कि आप भी इन देश-द्रोहियों और हरामियों की तरह कमीने हो.....!!??".....दोस्तों सबसे पहले खुद से कुछ खड़े कीजिये...आप खुद समझ जायेंगे कि आपमें किसी आन्दोलन में शरीक होने कि योग्यता है भी कि नहीं....!!
बड़ा मज़ा आ रहा है ना आन्दोलन करने में......मगर अगर सत्ता ने लाठियां बरसाई.....तब देखेंगे कि किस्में कितना दम है....!!दोस्तों इस देश को दरअसल आज़ादी कभी मिली ही नहीं थी....सिर्फ गोरे अंग्रेजों द्वारा काले अंग्रेजों को सत्ता का हस्तांतरण भर हुआ था....इसलिए अंग्रेजों के बनाए हुए काले कानूनों को ढोती हुईं तमाम सरकारें आज तक जनता के साथ हर स्तर पर हैवानियत भरा नंगा खेल खेलती रही !!
दोस्तों !बहुत सारे लोग इस आन्दोलन में शरीक होकर अपने सारे पुराने पापों को धो लेना चाहते हैं....वे इस आन्दोलन में शामिल होकर गंगा नहा लेने का लाभ ले लेने की फिराक में हैं....ऐसे लोगों को भी पहचानिए....और उन्हें मार भगाइए....वरना इस आन्दोलन की धार कुंद पड़ जायेगी....!!
और अंत में यही कि एक सच्चे-अच्छे एवं दुर्भावना-हीन समाज को गढ़ने के लिए खुद के भी सच्चे समर्पण की आवश्यकता होती है....ऐसा कभी भी नहीं हो सकता कि हम तो लालच-फरेब-दुर्भावना-उंच-नीच-धर्म-सम्प्रदाय की अपवित्र भावनाओं से भरे हों....और एक अच्छे समाज का बेतुका सपना देखते रहें.....हमेशा एक बात याद रखिये.....कि जिन हथियारों से आप लैस हो....वैसा ही समाज आप गढ़ पाओगे...जय-हिंद....वन्दे-मातरम्.....सत्यमेव-जयते.....!!!
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