Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

18.7.12

हमारे प्रिय यशवंत जी को माफिया ने जेल में ठूंस रखा है और हम फजूल बातों पर ब्लॉग पर ब्लॉग लिखे जा रहे हैं.

  
हमारे प्रिय यशवंत जी को माफिया ने जेल में ठूंस रखा है और हम फजूल बातों पर ब्लॉग पर ब्लॉग लिखे जा रहे हैं.
=============



क्या बीमारी लग गयी मेरे देश को, 

जाति को , 

हिंदू को , 

तमाशबीन बनने की . 

जरुरत है आध्यात्मिक मनन  की

  
ये देश के लोग कैसे संवेदन हीन हो चुके हैं . है कोई उपाय , 
है कोई जरुरत , या चलने दिया जाय , 
हम कम्पुटर वाले भी संवेदन हीन क्यों न हो जाएँ.
====================
भ्रष्टाचार होने का भी यही कारण है . 
हमारा देश का  चरित्र , समाज का चरित्र गिर चूका है , 
क्या कोई कानून इस चरित्र को उठा सकता है . 
===============
मेरे हिसाब से देश को इस वक्त आध्यात्मिक क्रांति कि जरुरत है .
=================

पूलिस वाले ने नाबालिग से किया रेप - वीडियो



==================
छेड़खानी के बाद सरेराह लड़की के कपड़े फाड़े, तमाशबीन बनी रही भीड़
==================
माताजी शब्द अश्लील एसएमएस की श्रेणी में आता है ?
देश की सबसे बड़ी मीडिया वेबसाइट भड़ास4मीडिया के संस्थापक यशवंत को गिरफ्तार किया गया। इंडिया टीवी के मैनेजिंग एडीटर विनोद कापड़ी और उनकी पत्नी साक्षी जोशी ने आरोप लगाया कि रात के दो बजे यशवंत ने उन्हें लगातार कई फोन और एसएमएस किये तथा अगले दिन उनसे रंगदारी मांगी। देश के बड़े मीडिया घराने जिनके शोषण की दास्तान यशवंत लगातार छापते रहते थे सक्रिय हो गये और अगले दिन यशवंत की गिरफ्तारी इतने बड़े कॉलम में छापी कि मानों यशवंत पाकिस्तान से आये खूंखार आतंकवादी हों। यशवंत के क्रिया कलापों को लेकर देश भर में बहस छिड़ी हुई है कि मीडिया के बड़े से बड़े नामों की हकीकत सामने लाने वाले इस नौजवान के साथ सही हुआ या नहीं।
यशवंत के बारे में सबसे ज्यादा नकारात्मक टिप्पणी यही आयी कि वह बहुत शराब पीते हैं और शराब पीकर लोंगों को आधी रात में फोन कर देते हैं। सवाल यह है कि क्या किसी पत्रकार का यह इतना बड़ा गुनाह है कि नोयडा की काबिल पुलिस दो-दो गाडिय़ां ले जाकर इस पत्रकार को गिरफ्तार करे और उस पर ऐसी-ऐसी धाराएं लगा दी जायें जिससे उसका दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं हो।
यशवंत की सबसे बड़ी गलती यह है कि वह देश की सबसे बड़ी बेवसाइट के मालिक हैं। दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वेबसाइट आंकने वाली कम्पनी के मुताबिक भड़ास4मीडिया की हैसियत दुनिया की सभी वेबसाइटों में क्रम से नापने पर लगभग 28हजार नंबर पर आती है, जबकि देश के बड़े बड़े अखबारों के साइटों की हैसियत लाखों में है। इससे भी बड़ी बात यह कि मीडिया के बड़े घराने जिस तरह अपने संवाददाताओं का शोषण करते हैं और सरकार से सौदेबाजी करते है उसकी बेवाक खबर लगतार भड़ास पर आती रहती थी। नतीजा यही था कि सारे बड़े मीडिया घराने यशवंत से इस हद तक नाराज थे कि उन्होंने अपने संस्थानों में भड़ास खोलने पर प्रतिबन्ध लगा दिया था। जो आज भी जारी है। मगर इन संस्थानों में काम करने वाले अधिकांश पत्रकार बाहर जाकर कम्प्यूटर पर भड़ास जरूर खोलते थे।
यशवंत ने अपनी साइट पर इलेक्ट्रानिक मीडिया की कम धज्जिंया नही उड़ाई। नीरा राडिया के टेप सबसे पहले भड़ास पर ही पत्रकारों को मिले इसके बाद देश के बड़े बड़े नाम वाले पत्रकारों को जब सार्वजनिक रूप से बेइज्जत होना पड़ा तो उनकी खबर भी सबसे पहले भड़ास पर ही आयी। स्वाभाविक है कि मीडिया के बहुत बड़े नाम और बहुत बड़े घराने यशवंत के पीछे पड़े हुए थे। उन पर मानहानि के 75से अधिक मामले लंबित थे। मगर अपनी मस्ती में जीते इस नौजवान ने मानों मीडिया की गंदगी को सबके सामने लाने के लिए कमर कस रखी थी। हालांकि इतनी प्रसिद्घि का कुछ नुकसान भी हुआ। खुद यशवंत ने अपनी साइट पर अपनी शराब पीने की आदत का कई बार जिक्र किया। उनकी साइट की एक नकारात्मक बात यह भी थी कि जो भी कोई खबर लिखकर भेज देता था तो उस व्यक्ति का स्पष्टीकरण लिये बिना कई बार खबर छप जाती थी। जिसका कुछ वरिष्ठ पत्रकारों ने कई बार विरोध किया। मगर दूर दराज के इलाकों के छोटे पत्रकारों पर कभी भी कोई परेशानी आयी तो भड़ास एक ऐसी साइट थी जिसने इन छोटे पत्रकारों के दर्द को पूरे देश के सामने रखा। अभी पिछले दिनों ही जब गोरखपुर में एक दैनिक के पत्रकार को वहां के एसएसपी ने सार्वजनिक रूप से पीटा तो उस संस्थान ने तो कुछ नहीं कहा मगर यशवंत ने अपनी साइट पर इस एसएसपी के खिलाफ अभियान चला दिया। परिणाम स्वरूप इस एसएसपी को संस्थान में जाकर उस संवाददाता के पैर छूकर माफी मांगनी पड़ी।

ताजा मामले में विनोद कापड़ी और उनकी पत्नी द्वारा लगाये गये आरोपों के कारण यशवंत जेल में है। मगर विनोद कापड़ी ने खुद जो इंटरव्यू दिया है उसमें कहीं जिक्र नहीं है कि यशवंत ने मोटरसाइकिल पर आकर उन्हें मारने के धमकी दी हो। साथ ही यशवंत ने प्लाट खरीदने के लिए जिन 20हजार रुपये की मांग की है बकौल विनोद कापड़ी वह उनसे उधार मांगे थे न कि रंगदारी के लिए। यशवंत को नजदीक से जाने वाले लोग जानते हैं कि यशवंत लिखने के मामले में कई जाने माने पत्रकारों से भी बेहतर है। जिस 20हजार रुपये उधार मांगने के एसएमएस को रंगदारी बताया जा रहा है वह नशे में किया गया एसएमएस नहीं है बल्कि रात में फोन करने के बाद अगले दिन यशवंत द्वारा किया गया एसएमएस है। जिसमें यशवंत ने रात के फोन का कारण बताते हुए बीस हजार रुपये उधार मांगे हैं। साथ ही श्री कापड़ी की पत्नी को माताजी कहकर संबोधित करते हुए किया गया एसएमएस है। तो शायद कोई भी यह नहीं कहेगा कि माताजी शब्द अश्लील एसएमएस की श्रेणी में आता है।
विनोद कापड़ी ने अपने इंटरव्यू में खुद स्वीकार किया है कि लगभग पांच साल पहले भी यशवंत ने आधी रात को फोन करके उनसे नौकरी के लिए कुछ अभद्रता की थी। साथ ही जब विनोद कापड़ी ने साक्षी जोशी से विवाह नहीं किया था तब दोनों को लेकर एक विवादास्पद खबर भी भड़ास पर आयी थी। अब अगर इतने विवादों के बाद भी टेलीफोन रिकार्ड से सिद्घ हो जाता है कि यशवंत की विनोद कापड़ी तथा उनकी पत्नी से कई बार बात हुई है तो सिर्फ यही कहा जा सकता है कि विनोद कापड़ी कई बड़े मीडिया घरानों का सिर्फ एक हथियार बनकर रह गए है।
यशवंत के शराब पीकर फोन करने की सबको आलोचना करनी चाहिए। अगर उन्होंने किसी को ब्लैकमेल किया तो उसे भी
सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए कि आखिर उसने ऐसा क्या गुनाह कर दिया कि उसे ब्लैकमेल होने पर मजबूर होना पड़ा। साथ ही देश के उन बड़े मीडिया घरानों को भी सोचना चाहिए जो यशवंत की गिरफ्तारी को तीन या चार कॉलम में छाप रहे हैं। तो उन्हें इस बात की भी सफाई देनी चाहिए कि उनके संस्थानों की जो कहानी भड़ास पर छपी है उसमें कितनी सच्चाई है। मीडिया के लोगों को अपना दामन साफ रखने की सबसे ज्यादा जरूरत है जिससे यशवंत या फिर कोई और उन्हें किसी भी स्थिति में ब्लैकमेल न कर सके।
लेखक संजय शर्मा लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार हैं. हिंदी वीकली न्यूजपेपर वीकएंड टाइम्स के संपादक हैं. यह लेख उनके अखबार में प्रकाशित हो चुका है. 

No comments: