मित्रों,बिहार सरकार के प्रशासन में न सिर्फ तृणमूल स्तर पर अव्यवस्था का वातावरण है बल्कि उच्च स्तर पर ऐसी ही स्थिति है और बिहार सरकार की वेवसाईट भी इसका अपवाद नहीं है। उदाहरण के लिए बिहार सरकार की मुख्य वेबसाईट पर बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के कार्यालय के जो दो फोन नंबर 0612-2223886 और 2224784 दिए गए हैं वे दोनों ही नंबर गलत हैं और काम नहीं करते हैं। इसी तरह बिहार सरकार में पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की वेबसाईट पर विभागीय मंत्री वैद्यनाथ सहनी का जो नंबर दिया गया है 0612-2230496 भी गलत नंबर है तो भवन निर्माण विभाग की वेबसाईट पर भवन निर्माण मंत्री दामोदर राऊत और कला संस्कृति एवं युवा विभाग के मंत्री विनय बिहारी का नंबर ही नहीं दिया गया है लगता है कि मंत्रीजी गोपनीयता में कुछ ज्यादा ही विश्वास रखते हैं।
मित्रों,परिवहन विभाग की वेबसाईट पर विभागीय मंत्री रमई राम का जो नंबर दिया गया है उस पर सेवा अस्थायी रूप से बंद है तो इतिहास में अपना ऊँचा स्थान रखने वाले बिहार के पर्यटन विभाग की वेबसाईट रहस्यमय परीकथा की तरह प्रतीत होती है जिस पर फोटो-ही-फोटो है लेकिन इस विभाग का मंत्री कौन है और उसका नंबर क्या है का कहीं अता-पता नहीं है।
मित्रों,वाणिज्य कर विभाग की तो वेबसाईट खुलती ही नहीं है। बड़े ही दिलचस्प तरीके से सहकारिता मंत्री जय कुमार सिंह के कार्यालय का वही नंबर दिया गया है जो मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का है 0612-2224784 और जो काम भी नहीं करता। इसी तरह वित्त विभाग की वेबसाईट पर वित्त मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव का जो नंबर दिया गया है वही नंबर मुख्यमंत्री मांझी का भी है-0612-2223886 तो ऊर्जा विभाग की वेबसाईट पर विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का जो नंबर दिया गया है वह भी गलत है और लगाने पर यह नंबर मौजूद नहीं है की घोषणा सुनाई देती है। इसी तरह खनन और भूतत्व विभाग के मंत्री रामलखन राम रमन का भी वही नंबर बताया गया है जो मुख्यमंत्री का है जो गलत भी है-2223886।
मित्रों,उद्योग मंत्री भीम सिंह का एक नंबर 0612-2215430 गलत है तो दूसरा नंबर 2215431 सही है। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की वेबसाईट से विभाग का मंत्री कौन है का पता ही नहीं लगता। पहले इंफॉरमेशन और फिर अबाउट अस पर क्लिक करने पर पता चलता है विभाग के सचिव के रूप में प्रत्यय अमृत हैं। पता नहीं यह जानकारी सही है या गलत लेकिन उनका जो फोन नंबर-0612-2212390 दिया गया वह जरूर गलत है।
मित्रों,सूचना प्रौद्योगिकी विभाग की वेबसाईट पर कॉन्टैक्ट पर क्लिक करने पर जो पेज खुलता है उस पर सर्च में ऑनरेबल मिनिस्टर डालने पर फिर से वही पेज खुल जाता है और बार-बार कोशिश करने पर भी फिर से खुलता रहता है मगर नंबर नहीं मिलता। संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार का तो विभाग की वेबसाईट पर नंबर ही नहीं दिया गया है और वेबसाईट पर दी गई फोन डाइरेक्ट्री का लिंक भी काम नहीं करता है।
मित्रों,पंचायती राज विभाग की वेबसाईट पर विभाग के मंत्री विनोद प्रसाद यादव का नंबर नहीं दिया गया है और न ही यहाँ दिया गया कॉन्टैक्ट्स लिंक ही काम करता है। हाँ वेबसाईट के डाटाबेस लिंक पर क्लिक करके आप राज्य की किसी भी पंचायत,जिला परिषद या पंचायत समिति प्रतिनिधि का नाम और फोन नंबर जरूर प्राप्त कर सकते हैं।
मित्रों,अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग की वेबसाईट पर विभाग का मंत्री कौन है का पता ही नहीं चलता,Directory पर क्लिक करने पर विभागीय सचिव हुकुम सिंह मीणा का नंबर प्राप्त होता है जो गलत है। इसी तरह की अव्यवस्था की शिकार समाज कल्याण मंत्रालय की वेबसाईट भी है जहाँ महिला मंत्री की तस्वीर तो लगी हुई है लेकिन नाम तक नहीं बताया गया है फोन नंबर तो दूर की बात रही। इसी वेबसाईट पर उपलब्ध एक लिंक मीट द मिनिस्टर पर जाने पर भी न तो मंत्री के नाम का और न ही नंबर का ही पता चल पाता है। वैसे इस विभाग को इन दिनों श्रीमती लेसी सिंह संभाल रही हैं। बिजली विभाग की मनमानी से पूरे बिहार की बिहार की जनता परेशान हैं लेकिन बिहार सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं। तभी तो ऊर्जा विभाग और बीएसपीएचसीएल की वेबसाईट पर विभागीय मंत्री श्री जीतनराम मांझी और विभागीय सचिव अमृत प्रत्यय दोनों के ही नंबर गलत हैं। न तो ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाईट पर,न तो बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड और न ही नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी लिमिटेड की वेबसाईट पर ही उपभोक्ताओं के लिए कोई कस्टमर केयर की सुविधा दी गई है। एनबीपीडीसीएल की वेबसाईट पर एक नंबर दिया भी गया है मगर उस पर सिर्फ ट्रांसफार्मर के जलने या काम नहीं करने की ही शिकायत की जा सकती है।
मित्रों,कुल मिलाकर बिहार में किस तरह से शासन-प्रशासन में सूचना प्रौद्योगिकी का सदुपयोग किया जा रहा है का सबसे अच्छा उदाहरण है बिहार सरकार की वेबसाईट। बिहार सरकार में इन दिनों हर स्तर पर हर विभाग में कहीँ भी व्यवस्था नाम की चीज नहीं है। ऐसा हो भी क्यों नहीं जो सरकार अपनी वेबसाईट तक को दुरूस्त नहीं रख पाती हो वो राज्य को कैसे दुरूस्त करेगी और रखेगी?
(हाजीपुर टाईम्स पर भी प्रकाशित)