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19.12.20

बंगला देश की दोस्ती ने बता दिया की पडोसी ही पडोसी के काम आता है

कोरोना वायरस की वजह से पूरी दुनिया में वर्चुअल बैठकें हो रही हैं| हाल ही में  भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ अपनी बैठक में वर्चुअल बैठक का जिक्र किया और कहा कि दोनों नेताओं के बीच यह माध्यम नया नहीं है और दोनों नेता इस माध्यम से बातचीत करते रहे हैं| दोनों नेताओं के बीच बैठक ऐसे समय में हुई जब बांग्लादेश की आजादी को 50 साल पूरे हुए हैं और देश विजय दिवस मना रहा है |मोदी ने इस मौके पर कहा कि वैश्विक महामारी के कारण ये वर्ष चुनौतीपूर्ण रहा है लेकिन संतोष का विषय है कि भारत और बांग्लादेश के बीच अच्छा सहयोग रहा, वैक्सीन के क्षेत्र में भी हमारे बीच अच्छा सहयोग चल रहा है | इस सिलसिले में हम आपकी आवश्यकताओं का भी विशेष ध्यान रखेंगे.| मोदी ने कहा आगे कहा कि विजय दिवस के तुरंत बाद हमारी मुलाकात और भी अधिक महत्व रखती है| एंटी लिब्रेशन फोर्सेस पर बांग्लादेश की ऐतिहासिक जीत को आपके साथ विजय दिवस के रूप में मनाना हमारे लिए गर्व की बात है | दूसरी तरफ प्रधानमंत्री हसीना ने 1971 के युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए  उन्होंने बांग्लादेश की आजादी में भारतीय फौज और भारत की अहम भूमिका को याद किया| हसीना ने भारत को "सच्चा दोस्त" बताया|  हसीना ने पिछले साल दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस में दोनों नेताओं की मुलाकात को याद भी किया| कोरोना वायरस महामारी का जिक्र करते हुए हसीना ने कहा कि दुनियाभर में लाखों लोगों की इस वजह से मौत हुई, करोड़ों लोगों की आजीविका प्रभावित हुई और बीमारी के कारण अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है|


मोदी ने इस मौके पर बंगबंधु-बापू डिजिटल प्रदर्शनी का ऑनलाइन उद्घाटन किया |उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि बंगबंधु-बापू की प्रदर्शनी युवाओं को प्रेरणा देगी| अधिकारियों का कहना है कि महात्मा गांधी और मुजीबुर रहमान अलग-अलग समय में पैदा हुए और उन्हें अलग-अलग विरोधियों का सामना करना पड़ा लेकिन दोनों नेताओं ने अपने लोगों की भलाई के लिए अपने जीवन की परवाह नहीं की| बंगबंधु-बापू डिजिटल प्रदर्शनी नई दिल्ली में और उसके बाद बांग्लादेश के अलग-अलग शहरों में लग रही है | इस प्रदर्शनी का समापन 2022 में कोलकाता में होगा|

साथ ही  इस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और बंगलादेश की पीएम शेख हसीना ने भारत और बंगलादेश के बीच 55 वर्षों से बंद चिल्हाटी-हल्दीबाड़ी रेल लिंक का उद्घाटन किया। यह रेल लिंक 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के समय से बंद कर दिया गया था। इसके अलावा दोनों देशों में 7 अहम समझौते भी हुए। चिल्हाटी-हल्दीबाड़ी रेल सम्पर्क भारत के लिए काफी अहम है। रेल लाइन इसलिए भी खास है क्योंकि यह उस सिलीगुड़ी का हिस्सा है जिसे चिकननेक कहा जाता है। भूटान की सीमा के करीब चीन की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए भारत पहले से कहीं अधिक सतर्क हो चुका है। भारत जल्द से जल्द अपने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए वैकल्पिक जमीनी रास्ता सुनिश्चित करना चाहता है और यह काम केवल बंगलादेश ही कर सकता है। उसकी सीमा तीन पूर्वोत्तर राज्यों से ही जुड़ती है। इसी क्रम में भारत ने बंगलादेश से अपील की है कि वह बंगाल (हिली) को मेघालय (महेन्द्रगंज) से भूमार्ग से जोड़ने का रास्ता दे। इसकी एवज में बंगलादेश ने भी भारत-म्यांमार-थाइलैंड हाइवे परियोजना में शामिल होने, बंगलादेश के उत्पादों के लिए भारतीय बाजार को और खोलने, बंगलादेशी ट्रकों को चट्टोग्राम पोर्ट से पूर्वोत्तर राज्यों में आसानी से आने-जाने की अनुमति देने जैसी मांगें रखी हैं। बंगलादेश ने पद्मा नदी में 1.3 किलोमीटर लम्बा रास्ता भी मांगा है।

ये सभी मुद्दे जटिल तो हैं लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि दोनों देश अंतिम फैसला ले लेंगे। यदि दोनों देशों में सहमति बन जाती है तो भारत के लिए चिकननेक की चिंता काफी कम हो जाएगी। चिकननेक दरअसल भारत और पूर्वोत्तर राज्यों में बीच का पतला सा हिस्सा है और हमारे लिए इसका रणनीतिक महत्व है। भारत को हमेशा इस बात की चिंता रहती है कि चीन इस हिस्से पर आक्रमण कर पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से काट सकता है। सिक्किम जब भारत का राज्य बना तो भारत को उत्तर पूर्व स्तिथि चुंबी घाटी में चीन की निगाह रखने के लिए रणनीतिक बढ़त हासिल हो गई थी। चीन की नजरें चिकननेक पर लगी हुई हैं। वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद भी चिकननेक पर कब्जे की मंशा को लेकर ही हुआ था। मौजूदा रेल लिंक से भारत की राह इस इलाके के सीमावर्ती इलाकों में जवानों को भेजने के लिए आसान हो  सकती है। आक्रामकता को कम करने के लिए यह जरूरी है कि भारत अपने पड़ोसी राष्ट्रों से संबंध मजबूत करे।

बंगलादेश में शेख हसीना की सरकार ने पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद कम करने के  लिए  भी भारत की काफी मदद की। बंगलादेश में बैठे उल्फा नेताओं  को पकड़ कर भारत को सौंपा है, जिससे उल्फा की कमर तोड़ने में सुरक्षा बलों को काफी सफलता मिली है। यद्यपि बंगलादेश में भी कट्टरपंथी ताकतें लगातार भारत विरोधी रुख अपनाए हुए हैं। आज भी पाकिस्तान बंगलादेश में बैठे कट्टरपंथी संगठनों का हर तरह से सहयोग कर भारत में हिंसक घटनाओं की साजिश रचता रहता है।खालिदा जिया की सरकार के दौरान बंगलादेश और भारत के संबंध काफी बिगड़ गए थे। शेख हसीना की सरकार ने काफी हद तक कट्टरपंथी ताकतों पर नियंत्रण पाने में सफलता प्राप्त कर ली है। कोरोना काल में भी दोनों देश और करीब आए हैं। दोनों देशों ने इस साल कनैक्टीविटी के कई नए काम शुरू किए हैं। काश पाकिस्तान व चीन इन घटनाओं से सबक लेकर पडोसी धर्म को समझकर भारत से आंखे तरेरना बंद करदे क्योकि कहा जाता है कि दोस्त बदली हो सकता है पर पडोसी नहीं और पडोसी ही पडोसी के काम आता है |

अशोक भाटिया

स्वतंत्र पत्रकार

अ /001 वैंचर अपार्टमेंट , वसंत  नगरी, वसई पूर्व -401208 ( जिला – पालघर )  फोन/वाट्स एप्प  09221232130

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