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24.12.20

पत्रकारों के सवाल उठाने पर हमले क्यों?

बिना मांगे कृषि कानून लाने वाली सरकार पत्रकार सुरक्षा  की मांग पर मौन क्यों? लोकतंत्र बचाने के लिए डब्ल्यूजेआई ने अविलंब पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग की

नई दिल्ली : पत्रकारिता के गढ़ दिल्ली और संपूर्ण क्रांति का सूत्र स्थल पटना ने सरकार के सामने यक्ष प्रश्न खड़ा कर दिया है. वह है किसान कल्याण का हित और लोकतंत्र व पत्रकारिता की रक्षा का।


राष्ट्रीय कृषि दिवस पर रामजानकी संस्थान,आरजेएस की 106वें फेसबुक लाइव शो में राष्ट्रीय संयोजक उदय कुमार मन्ना ने कहा कि बिना मांगे कृषि कानून लाने वाली सरकार पत्रकार सुरक्षा पर मौन क्यों है ? जबकि एक लंबे अरसे से इसकी मांग की जाती रही है . दिल्ली बाॅर्डर पर किसान आंदोलन के महीना होने को आए, दो दर्जन से ज्यादा किसानों की जान चली गई,लेकिन सरकार की दूरदर्शिता दिखाई नहीं दे रही।  आरजेएस की आभासी बैठक में श्री मन्ना ने  केंद्रीय कृषि और कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर की सूचना को भी साझा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई की जयंती 25 दिसंबर को स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश के किसानों के खातों में पैसा ट्रांसफर करेंगे।

सरकार कृषि कानून लाकर किसानों का हितैषी बनने का दावा कर रही है , अच्छी बात है , लेकिन पत्रकारों की जान जा रही है , पत्रकारिता पर हमले हो रहे हैं। पत्रकार सुरक्षा की लंबे अरसे से मांग लेकर केंद्र और राज्य सरकारें मौन क्यों है ? कोरोना ने कई पत्रकारों को लील लिया , लेकिन कोरोना योद्धा का दर्जा भी नहीं मिल सका। उसपर तुर्रा यह कि संस्थान बंद होने से ये चौथा स्तंभ आज बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर है। ऑनलाइन मीडिया की हालत तो और बदतर हो गई है।

वर्किंग जर्नलिस्ट ऑफ इंडिया संबद्ध भारतीय मजदूर संघ के राष्ट्रीय महासचिव नरेंद्र भंडारी ने अपने वीडियो में बताया कि किस तरह बिहार ,पटना के पत्रकार प्रशांत राय व टीम को  सकारात्मक पत्रकारिता के दौरान पीएमसीएच के सुरक्षाकर्मियों ने लाठी-डंडों से पीटा।  जनता जंक्शन की पूरी टीम घायल हो गई।उसपर तुर्रा यह कि इनके साथियों पर पुलिस थाने में अवांछित बातें लिखने का दबाव बनाया गया। डंडे के प्रहार से प्रशांत राय के हाथ में फ्रैक्चर और घुटनों से खून निकल आया। जबकि यह लोग वहां जरूरतमंदों को कंबल वितरण करने भी गए थे । वहीं दिल्ली में पंजाबी चैनल की महिला पत्रकार चंदर प्रीत और उनके कैमरामैन के साथ एक सांसद जसवीर डीम्पा ने तू-तड़ाक के साथ दुर्व्यवहार किया। यहां तक कि उनका माइक छीनकर कैमरे पर हाथ मारा। आज सवाल पूछना और पत्रकारिता करना गुनाह होता जा रहा है।इन परिस्थितियों में लोकतंत्र के

प्रहरियों की रक्षा के लिए पत्रकार सुरक्षा कानून बहुत ही आवश्यक हो गया है । वर्किंग जर्नलिस्ट्स ऑफ इंडिया और तमाम देश के पत्रकार यूनियनों की मांगों पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मौन हैं। आए दिन देश में इस तरह की घटनाओं में वृद्धि हो रही है और लोकतंत्र खतरे में आ गया है।

उदय मन्ना
9811705015
rjspositivemedia@gmail.com
प्रेस विज्ञप्ति-24-12-2020

1 comment:

uday manna said...

Good support for Positive news.