‘गुफ़्तगू’ ने पेश किया ‘खिराज-ए-अक़ीदत
प्रयागराज। मशहूर उर्दू आलोचक शम्सुर्रहमान फ़ारूक़ी के निधन पर साहित्यक
संस्था गुफ़्तगू’ की तरफ से हरवारा, धूमनगंज स्थित गुफ़्तगू कार्यालय में
उन्हें खिराज-ए-अक़ीदत पेश किया गया। अध्यक्ष इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी ने कहा
कि पाकिस्तान के ‘निशान-ए-इम्तियाज़’ एवार्ड से लेकर पद्मश्री और सरस्वती
सम्मान तक का सफ़र तय करने वाले शम्सुरर्हमान फ़ारूक़ी ने निधन से पूरी
दुनिया में उर्दू अदब का जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कभी नहीं की जा
सकती। मीर तक़ी मीर की शायरी पर लिखी उनकी किताब पूरे उर्दू अदब के इतिहास
में अद्वितीय है। उनके सारे का रेखांकन और मूल्याकंन पूरी तरह इमानदारी
करना भी आसान नहीं होगा। श्री ग़ाज़ी ने कहा कि फ़ारूक़ी साहब ने उर्दू की
सेवा के लिए अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, रूस, हालैंड, न्यूजीलैंड,
थाईलैंड, बेल्जियम, कनाडा, तुर्की, पश्चिमी यूरोप,सउदी अरब और कतर आदि
देशों का दौरा किया था। अमेरिका, कनाडा और इंग्लैंड के कई
विश्वविद्यालयों में कई बार लेक्चर दिया था।
मनमोहन सिंह तन्हा ने कहा आज हमारे बीच उर्दू का सबसे बड़ा आलोचक विदा हो
गया, उनकी कमी कभी पूरी नहीं होगी। नरेश महरानी ने उन्होंने पूरी दुनिया
के साथ प्रयागराज की शान बताया। प्रभाशंकर शर्मा ने कहा कि फ़ारूक़ी साहब
के निधन से हमने अपने शहर की बड़ी पहचान खो दिया है। अनिल मानव, डाॅ.
नीलिमा मिश्रा, नीना मोहन श्रीवास्तव, शैलेंद्र्र जय, संजय सक्सेना, अफसर
जमाल, अर्चना जायसवाल, डाॅ. सुरेश चंद्र द्विवेदी, रेशादुल इस्लाम, इश्क
सुल्तानपुरी, शिवाजी यादव, शिवपूजन सिंह, देवेंद्र्र प्रताप वर्मा, संजय
सागर, रामशंकर पटेल आदि ने भी उन्हें श्रद्धांजलि दी।
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