Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

11.12.21

मोदी सरकार यदि हार गई तो क्या बेरोजगार अन्य राजनीतिक दल पर भरोसा कर सकते हैं?

 Maheshwari Mishra-

 बेरोजगारी भत्ता अभी तक सिर्फ चुनावी घोषणा बनकर रह गया है... देश के युवा उसी भ्रमजाल में फंस रहे हैं जिस भ्रमजाल 7 साल पहले फंसे थे। तब कांग्रेस के प्रति लोगों में आक्रोश था और भाजपा-आरएसएस का साइलेंट सेल लोगों की नफरत की आग में घी डाल रहा था और फिर साहब आए गुजरात का विकास मॉडल पेश किया। दो करोड़ हर साल रोजगार देने का वादा किया। महंगाई का रोना रोया।


और चुनाव जीतने के बाद सच्चाई आपके सामने है। अब भी वक्त कुछ ऐसा ही है पार्टी बदल गई। अब सभी पार्टियां सरकार के प्रति लोगों में फैली नाराजगी की आग और भड़का रहे हैं पर सवाल वही है कि क्या देश के हर नागरिक को आजीवका का अधिकार (रोजगार) मिलेगा?

जवाब है- जी नहीं

बेरोजगारी कैसे दूर करेंगे?

बेरोजगारी की चर्चा पहले साहब करते थे अब विपक्ष करता है लेकिन बेरोजगारी कैसे दूर करेंगे किसी के पास कोई रोडमैप नहीं।

बेरोजगारी भत्ता का वादा, वादा ही रहा

2018 के विधनसभा चुनाव में बेरोजगारी भत्ता देने का वादा कर छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई। इसी वादे के कारण झारखंड, महाराष्ट्र में कांग्रेस को कुछ सीटें मिली। अब सरकार बन जाने के बाद बेरोजगारी भत्ता देने का वादा भूल गए तो जनता या युवा कांग्रेस पर भी किस आधार पर विश्वास करें?

अब खिचड़ी सरकार के आसार

जाहिर है कि 2024 में तमाम दांव पेंच से भाजपा 150 सीटें ला ले लेकिन सत्ता से बेदखल ही होना पड़ेगा। फिर वही खिचड़ी सरकार बनने के आसार हैं।

हमें क्या मिलेगा?

पर सवाल हर एक आम नागरिक का वही है कि हमें क्या मिलेगा? हम तो महंगाई के नाम पर वर्षों से ठगते आए हैं।
1. क्या हर नागरिक को रोजगार मिलेगा?

2. सबको निःशुल्क और अच्छी शिक्षा मिलेगी?

3. सभी को निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं मिलेगी?

4. सभी को पक्का छत मिलेगा?

उक्त सुविधाएं मौलिक अधिकार के तहत अभी तक सिर्फ संविधान के कागजों में मिली हुईं हैं। वास्तव में हर भारतीय का जीवन यही सुविधा जुटाने में बीत जाता है तो एक आम नागरिक देश के विकास के बारे में क्या सोचेगा?

और देश के नागरिक भी ऐसे हैं विश्व गुरू कहने से अंगूठा छाप तो दूर पढ़े लिखे लोग भी खुश हो जाते हैं। ऐसे नागरिकों को झूठ बोलकर कोई भी ठग सकता है।

खुद करना पड़ेगा आंदोलन

देश के युवा अपनी देखते हैं कि शायद चापलूसी करने से मुझे रोजगार मिल जाये बाकी भाड़ में जाएं। एक बार हमारी पार्टी की सरकार आ जाए तो शायद हमें रोजगार मिल जाएगा। बस यही गलती हो जाती है। सरकार से रोजगार चाहिए  तो सबको आंदोलन करना पड़ेगा। सरकार से सिर्फ सरकारी रोजगार नहीं रोजगार(सरकारी प्राइवेट कैसा भी बस सैलरी और सुविधाएं समान हों) मांगना होगा। चाहे किसी भी पार्टी की सरकार हो।

देश के युवा रोजगार भी मांगते हैं तो सिर्फ सरकारी नौकरी। भैया आप खुद सोचो की एक लाख भर्ती में दो करोड़ लोगों को रोजगार कैसे मिल सकता है? जब आपकी सोच ही संगठित या भाई चारे की नहीं है तो बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलन कैसे खड़ा होगा?

लेखक

महेश्वरी प्रसाद मिश्र 

पत्रकार

No comments: