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22.12.21

काकोरी : वीर रस कवि सम्मेलन - एसपी और इंस्पेक्टर ने भी सुनाई कविताएं

लखनऊ : शहीदों को नमन करने काकोरी फिर से आए हैं...  काकोरी एक्शन के अमर बलिदानियों के 94वें बलिदान दिवस पर  काकोरी शहीद मंदिर प्रांगण में आयोजित वीर रस कवि सम्मेलन व मुशायरे का आगाज़ प्रातः 9 बजे जी. पी. ओ. हजरतगंज स्थित काकोरी स्तम्भ पर एस. डी. एम. सदर, साहित्य शिरोमणि डा. रंगनाथ मिश्रा सत्य, पण्डित बेअदब लखनवी, अनिल किशोर शुक्ल "निडर", कृष्णानंद राय, उदय खत्री, यादवेंद्र कुमार व उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के राम प्रकाश सिंह द्वारा पुष्पांजलि अर्पित कर अमर शहीदों को श्रद्धांजलि से हुआ । तत्पश्चात काफिला बाजनगर स्थित काकोरी शहीद मंदिर पहुंचा जहाँ एस. डी. एम. सदर, पण्डित बेअदब लखनवी , डा. रंगनाथ मिश्रा "सत्य" द्वारा दीप प्रज्वलित कर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के द्वारा आयोजित होने वाले भव्य समारोह व चित्र प्रदर्शनी का शुभारम्भ हुआ ।


 


काकोरी शहीद मंदिर में काकोरी कांड के अमर बलिदानियों पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां वारसी 'हसरत', राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी, ठाकुर रौशन सिंह एवं चन्द्र शेखर आजाद की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण  के उपरांत एस. डी. एम. सदर के उद्बोधन व अनिल किशोर शुक्ल "निडर" की वाणी वन्दना  से वीर रस कवि - सम्मेलन व मुशायरे का शुभारम्भ हुआ ।

डाॅ. मंसूर हसन खां "मंसूर" की सदारत में सर्व प्रथम हरि प्रकाश हरि ने अगर समझ सकोगे कवि की वेदना के मर्म को, तो हरि समझ सकेंगे कुछ निभाया कवि के धर्म को सुनाकर वाहवाही लूटी तो

पण्डित बेअदब लखनवी  ने अमर बलिदानियों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए "शहीदों को नमन करने काकोरी फिर से आए हैं, समर्पित उनको हम करने श्रद्धा के पुष्प लाए हैं, जरूरत जो पड़ी तो हम भी अपनी जां लुटा देंगे, शमा जो खूं से थी रौशन उसे दिल में जलाए हैं" ! पढ़कर श्रोताओं में देश भक्ति के लहर जगा कर कुछ इस प्रकार अपनी  श्रद्धांजलि अर्पित की ।

भोजपुरी कवि कृष्णानन्द राय ने "चलो तिरंगा फहराएं भारत माँ की शान में, वीरों ने बलिदान दिया है अपने हिन्दुस्तान में"  पढ़ कर वाहवाही बटोरी ।

पुलिस अधीक्षक कोआपरेटिव सेल अखिलेश निगम "अखिल" ने "जब शहीद की चिता है जलती साहस शीश झुकाता है, समय स्वयं से प्रश्न पूछता शीश पकड़ पछताता है" पढ़कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया ।

इंस्पेक्टर राम राज भारती ने पुलिस व सेना की शौर्यगाथा "करे जो रक्षा वही वर्दी हमारी है, मिटे कर्तव्य पर अपने उन्हीं का कर्ज़ भारी है, निभाए रात दिन ड्यूटी तीज त्यौहार कहते हैं, बढ़ाए प्रांत का गौरव यही इक बात न्यारी है  ! सुनाकर तालियाँ बटोरी ।

साहित्य भूषण डाॅ. रंगनाथ मिश्र "सत्य" ने "जगमगाता हुआ दीप मैं बन सकूँ, स्नेह इतना हृदय में भरो आज तुम" पढ़ कर मानवता का संदेश दिया ।

वाणी वन्दना से कार्यक्रम का शुभारम्भ करने वाले कवि अनिल किशोर शुक्ल 'निडर' ने "शहीदों ने लिख दी अनूठी कहानी, वतन पर लुटा दी है अपनी जवानी" पढ़कर शहीदों का मान बढ़ाया तो वहीं काकोरी के स्थानीय कवि अशोक अग्निपथि ने "लाल चंद्र शेखर के लाल - लाल नयनों में, जाने कितने समाये काल - महाकाल थे" सुनाकर वाहवाही लूट ली ।

एक मात्र कवयित्री मीरा चौरसिया ने "मइया एक बंदूक दिला दे मैं भी लड़ने जाऊंगा, दुश्मन सारे ढ़ेर करूंगा विजयी होकर आऊंगा" पढ़कर बाल मन के उद्गार व्यक्त किए ।

शायर सलीम ताबिश, आसिम काकोरवी, डा. मेंहदी हसन फहमी, डा. अस्मत मलिहाबादी, डा. मंसूर हसन खां 'मंसूर', नदीम एहमद, वरिष्ठ साहित्यकार सरस्वती प्रसाद रावत, बलभद्रनाथ त्रिपाठी, देवेन्द्र सिंह चौहान 'सुरेश', राम प्रकाश 'प्रकाश', जिया लाल भारती, अनिल किशोर शुक्ल 'निडर', वीरेन्द्र त्रिपाठी, शशि नारायण त्रिपाठी सहित उदय खत्री ने अपनी अपनी रचनाओं व कलाम से काकोरी कांड के अमर बलिदानियों के बलिदानियों को शब्द सुमन अर्पित कर श्रद्धांजलि दी  ।
जहां आर्ट कालेज के छात्रों द्वारा कार्यक्रम में सम्मिलित होकर समारोह को चार चाँद लगा दिया वहीं पर्यटन विभाग के कर्मचारी आर पी सिंह व एस डी एम सदर व अन्य की मौजूदगी व खान - पान की बेहतरीन व्यवस्था ने कवियों एवं शायरों की निरंतर हौसला अफजाई की।

इस वर्ष के इस समारोह की छटा ही निराली रही ।

- पण्डित बेअदब लखनवी
चलभाष- 9795163738
मेल - anillucknow1965@gmail.com

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