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14.12.21

पुणे में नहीं है हिंदी के रिपोर्टर्स के लिए कोई खास मौका

आज देश में पुणे बहुत तेजी से बढ़ते शहर के रूप में जाना जाता है। कभी यह सिर्फ एजुकेशन के लिए जाना जाता था, लेकिन आज हर क्षेत्र में यह विकास कर रहा है, लेकिन यहाँ पर आज भी हिंदी रिपोर्टर्स के लिए कोई स्थान नहीं है। कभी वो छोटी सैलरी पर काम करने को मजबूर हो जाते हैं तो कभी उन्हें दूसरी भाषा की ओर मुड़ना पड़ता है। जो तटस्थ होकर हिंदी के लिए ही काम करना होता है वे मजबूरी में सिर्फ ट्रांसलेशन का काम करते हैं। उन्हें निखरने का मौका ही नहीं मिलता है। वो सिर्फ एक ट्रांसलेटर बनकर रह जाते हैं।


वो इधर-उधर से मराठी की खबरें इकट्ठी करते हैं और उसे हिंदी में ट्रांसलेट कर देते हैं। इससे ज्यादा वे कुछ नहीं कर पाते हैं। उन्हें रिपोर्टर कहना ठीक नहीं होगा। कभी-कभी लगता है कि हम लोगों ने पत्रकरिता की पढ़ाई ही क्यों की। इससे अच्छा ट्रांसलेशन का ही कोई कोर्स कर लेते। रोजी-रोटी के लिए लोग कमाने को तो निकल जाते हैं लेकिन उनके सपने सिर्फ सपने ही बन कर रह जाते हैं।

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