Bhadas ब्लाग में पुराना कहा-सुना-लिखा कुछ खोजें.......................

7.12.21

अगर मीडिया में जाना है तो मल्टीटास्कर बनना मत भूलना

priyanshi singh-

बुर्जुग कहावत कहते थे कि दूर के ढोल सुहावने होते हैं आजकल यह दिखाई भी दे रहा है। पत्रकार सुनने में जितना खूबसूरत लगता है कॉलेज लाइफ में यह हमें उतना ही खूबसूरत दिखाई भी देता है। लेकिन जैसे ही स्नातक की पढ़ाई पूरी होती है हम इसकी हकीकत से रूबरू होने लगते हैं। क्योंकि रोजगार की भूख से हमारा पेट बिलख उठता है और हम आय दिन रोजगार के लिए समाचार संस्थानों के चक्कर लगाने लगते हैं लेकिन वहां हमें मिलता एक दाना भी नहीं क्योंकि बड़े संस्थान बड़े पत्रकारों को जानते हैं और उनकी भूख शांत करने की योजनाओं के साथ चलते है। वहीं यदि कही कोई लोकल न्यूज़ चैनल आपको अपने यहां मौका दे देता है तो यह आपके लिए वैसा रोजगार सिद्ध होता है जैसे ढोल के अंदर पोल। जो बिना टाँकी के शानदार बजता रहे यानी सैलरी में पूरी डेस्क का काम सम्भाल ले। वहीं यदि उसे सब नहीं आता है तो वह उसे सीखे अन्यथा उनके हिसाब से लोगों की कमी नही है जो कम पैसे में सब जगह हांथ पसार कर काम कर सकते हैं। लेकिन एक बात तो है इन लोकल चैनलों की इन्हें कंटेंट तो ऐसा चाहिए जो सभी पोर्टल से भिन्न हो और एक नजर में लोगों को अपनी और आकर्षित करें इनके व्यू भी बढ़वाए लेकिन लेखक ऐसा बिल्कुल नहीं चाहिए जो सिर्फ उत्त्तम कोटि का कंटेंट बनाए।


क्या है यह लोकल न्यूज़ वालो का उत्त्तम कोटि का कंटेंट:-
 
उत्त्तम कोटि का कंटेंट सुनने में बेहद खूबसूरत लगता है लेकिन लोकल न्यूज़ चैनल में यह जनता के सामने न्यूज़ को परोसने का एक जरिया बना हुआ है। जिसमे चैनल के लोग अपने यहां काम कर रहे राइटर से यह उम्मीद लगाते हैं कि वह प्रति दिन लोगों को अपने द्वारा दिए लेख की हेडलाइन से मोहित करे और लोग उनकी न्यूज़ को पढ़े चाहे वह खबर न्यूज़ के लायक हो या न हो। वही आजकल तो उत्त्तम कोटि के कंटेंट की जगह इंस्टाग्राम ने ले रखी है लोग फेमस पर्सनेलिटी के प्रत्येक पोस्ट को जनता के सामने परोसने लगे हैं ओर जनता को जागरूक करने की जगह भ्रमित कर रहे हैं। आज कल की इस इंस्टाग्राम वाले प्रसारण ने जनता को वास्तविक मुद्दो से भटका दिया है अब जनता के सामने यह न्यूज़ नहीं जाती की देश के जरूरी मुद्दे क्या है बल्कि यह न्यूज़ जाती है की विक्की कौसल के घर के बाहर स्पॉट हुई कैटरीना कैफ। मीडिया जिसका काम लोगों को जागरूक करना है वह अब लोगों को मुद्दो से ज्यादा किसी फेमस पर्सनेलिटी की पर्सनल लाइफ के बारे में जानकारी दे रही है। वहीं न्यूज़ संस्थान ऐसे कंटेंट को उत्त्तम कोटि की श्रेणी में रख रहे हैं।

मल्टीटास्किंग बनने के चक्कर मे लोग नही कर पाते गुणवत्ता पूर्ण काम:-

छोटे न्यूज़ चैनल अपने यहां लोगों को जॉब तो देते हैं लेकिन उनकी मेहनत के मुताबिक उनको भुगतान करने से कतराते हैं। वहीं एक ही व्यक्ति से वह अपने चैनल के कई काम निकलवाने से कतई नहीं चूकते। क्योंकि यह उनके लिए फायदे का सौदा है की एक व्यक्ति एक ही सैलेरी में कंटेंट राइटिंग, ग्राफिक डिजाइन, सोशल मीडिया हैंडलिंग और एंकरिंग सब कर रहा है वहीं यह सब करते हुए अगर उससे थोड़ी भी चूक हो जाए तो उसके लिए वह अपने सीनियर की बाते सुनने को तैयार रहे और यदि वह उसके जवाब में दो शब्द बोल दे तो मानो उसने अपराध कर दिया हो और अब उसकी नौकरी जाना तो निश्चित है। लेकिन आप इतना तो समझ सकते है की एक व्यक्ति जो किसी एक विशेष काम मे निपुण है वह अगर चौतरफा काम करेगा तो चूक तो मुनासिब है और यदि कोई इतना करने के बाद भी उचित भुगतान नहीं पा रहा है तो उसका सब्र का बांध टूटेगा ही और वह आपको जवाब भी देगा क्योंकि काम करना उचित है लेकिन स्वाभिमान बेंच कर काम करना नहीं। वहीं आपके इस मल्टीटास्किंग के टास्क के चलते हम अपनी रूचि पर ध्यान नहीं दे पाते हैं और हम कई नाव की सवारी करते हुए यह भूल जाते हैं की हम किस नाव पर सवार हुए थे।

प्रियांशी सिंह
Email:- Priyanshi.smslko@gmail.com

1 comment:

Delhi junction said...

सही लिखा