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22.12.21

भारतीय समाज एकरंगा बनाने की कोशिश बेहद खतरनाक



नवसाधना कला केन्द्र में 'राष्ट्रीय एकता, शांति और न्याय' शिविर का समापन

वाराणसी ।तीन दिन तक 'प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण' शिविर के समापन पर उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये कार्यकर्ता इस नारे के साथ अपने घरों को लौट गये कि 'हम होंगे कामयाब एक दिन, मन में है विश्वास...'। साझी विरासत और मेल-जोल की भारतीय संस्कृति का विस्तार करने की शपथ लेने के साथ ही उन्होंने माना कि सतरंगी भारतीय संस्कृति को एकरंगी बनाने की कोशिश ही मुल्क के लिए सबसे बड़ा खतरा है जिससे मुल्क को बचाने की जरूरत है.


तरना स्थित नवसाधना कला केन्द्र में 'राइट एंड एक्ट' संस्था की तरफ से आयोजित प्रशिक्षण शिविर में चले तीन दिनी मंथन में वक्ताओं ने कहा कि साझी विरासत और मेल-जोल की जो संस्कृति भारत में है वह दुनिया के किसी देश में नहीं है। भारतीय समाज हमेशा से सतरंगा रहा है आज कुछ ताकते उसे एकरंगा बनाने की कोशिश कर रही है जिससे हमें सतर्क रहना होगा.

वक्ताओं ने कहा कि आजादी का आंदोलन रहा हो या फिर उसके पहले काल,उस दौर के नायकों को भी एक दूसरे के खिलाफ लड़ाने की कोशिश हो रही है.नये नायक और प्रतीक स्थापित कर के सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश की जा रही है.

मुफ्ती-ए-बनारस मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने कहा कि खुदा और बंदों का ध्यान रखना ही हर धर्म का मूल है जो ऐसा नहीं करता समाज उसे अधर्मी मानता है. इसलिए प्यार-मोहब्बत से जीना और सबका ख्याल रखना चाहिए.

काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत राजेन्द्र तिवारी ने कहा कि आज धर्म को सियासत की चासनी में लपेटकर सरकार बनाने और बिगाड़ने का दौर शुरू है.ये किसी लोकतांत्रिक देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है.उन्होंने कहा कि आज धर्माधिकारियों और धर्म के व्यापारियों में समाज को बांट दिया गया है.इससे हमें सावधान होना चाहिए.

फादर आलोक नाथ ने कहा कि 'मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना' इस गीत को ही केंद्र में रखकर हम सभी को समाज निर्माण की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए.उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों में खुलापन का दौर काफी विलंब से शुरू हुआ. इसके बावजूद आज हम सभी दूसरे धर्मों की अच्छाइयों को देखने-सुनने के बाद उसे अपने धर्म का हिस्सा बनाते हैं. इन्हीं अच्छाइयों के चलते देश की सतरंगी तस्वीर बनी है.

सामाजिक कार्यकर्ता वल्लभ पांडेय ने प्रशिक्षणार्थियों को 17 ऐसे एक्ट की जानकारी दी जो समाज के हर तबके के लिए उपयोगी है.उन्होंने कहा कि इन कानूनों की जानकारी देकर ही हम समाज के अंतिम व्यक्ति को न्याय दिला सकते हैं. उन्होंने आरटीआई का इस्तेमाल कैसे और कब करें,इस बात की भी जानकारी दी.

सामाजिक कार्यकर्ती श्रुति रघुवंशी ने महिलाओं के मुद्दों पर चर्चा करते हुए प्रशिक्षुओं को इस बात का ग्रुप्स में प्रशिक्षण दिया कि वह अपने-अपने जिलों में जाकर कैसे काम करेंगे.

आयोजक डा.मुहम्मद आरिफ ने कहा कि तीन दिनों तक चले प्रशिक्षण शिविर की उपयोगिता तभी सार्थक होगी जब प्रशिक्षणार्थी अपने-अपने जिलों और गांव में जाकर समाज निर्माण की दिशा में काम करेंगे.

शिविर में उत्तर प्रदेश के लगभग 20 जिलों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.कार्यक्रम का संचालन डॉ मोहम्मद रिफ ने और प्रतिभागियों की ओर से स्वागत विनोद गौतम तथा धन्यवाद ज्ञापन अयोध्या प्रसाद ने किया.

सभी के स्वायत्तता की रक्षा ही धर्मनिरपेक्षता

इससे पहले नवसाधना कला केन्द्र में राष्ट्रीय एकता, शांति और न्याय विषयक शिविर के दूसरा दिन भी वक्ताओं ने अपनी बात रखी. कहा गया कि हर व्यक्ति के स्वायत्ता की रक्षा ही धर्मनिरपेक्षता है. कोई भी राज्य तब तक कल्याणकारी राज्य नहीं हो सकता जबतक वह धर्मनिरपेक्ष न हो.

अलग-अलग सत्रों में चले शिविर में बीएचयू के प्रो.आनंद दीपायन ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब किसी धर्म के खिलाफ होना नहीं है बल्कि वह हमें दूसरे धर्म का आदर और सम्मान सिखाता है. धर्मनिरपेक्षता ही लोकतंत्र की गारंटी है.इस बात को हमें बखूबी समझने की जरूरत है. जब धर्मनिरपेक्षता कमजोर होगी तो लोकतंत्र कमजोर होगा.

बीएचयू आईआईटी के प्रो.आर के मंडल ने प्रो.दीपायन की बातों को विस्तार देते हुए सवाल उठाया कि आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तो वो कौन से कारण है जिसके चलते पोस्टरों से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की तस्वीर गायब है. उन्हें खलनायक के तौर पर क्यों पेश किया जा रहा है. हमें इस बात को समझने की जरूरत है. नेहरू कहते कि हमारा धर्म विश्वविद्यालय, कालेज ,लेबोरेटरी ,बांध और नहरों का निर्माण करना है. जबकि आज के दौर में धर्म की परिभाषा बदल गयी है. नेहरू मानते थे कि मानवीय संवेदनाओं से ही संविधान की आत्मा बचेगी.

बीएचयू की प्रो.वृंदा परांजपे ने 'समाज निर्माण में महिलाओं की भूमिका' विषयक सत्र में कहा कि हमें अपनी ताकत पहचाननी होगी. जब तक हम अपनी ताकत  नहीं पहचानेंगे तबतक बेहतर समाज का निर्माण नहीं कर सकते.शिविर में उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से आये हुए 40 प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया. शिविर की विषय स्थापना और संचालन डॉ मोहम्मद आरिफ़ ने किया.

डॉ मोहम्मद आरिफ
9415270416

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