बेसिक शिक्षा विभाग के पुस्तक घोटने की जाँच हेतु मंडल स्तरीय जाँच समिति गठित
▪️जिला पंचायत अध्यक्ष घनश्याम अनुरागी ने कमिश्नर से की थी जिला स्तरीय जांच में खानापूरी की शिकायत
▪️राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर लगाया था शिक्षकों पर दबाव बनाकर झूठी रिपोर्ट माँगने का आरोप
26.5.22
बीएसए जालौन पुस्तक घोटाला
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1991 उपासना स्थल (विशेष उपबंध) अधिनियम का स्पष्टीकरण
प्रस्तुति : डा.राधे श्याम द्विवेदी एडवोकेट
1991 उपासना स्थल अधिनियम का उद्देश्य स्पष्ट रूप से कहता है कि यह किसी भी पूजा स्थल के रूपांतरण को प्रतिबंधित करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि उसका धार्मिक रूप वैसा ही रहे, जैसा कि वह 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था। अधिनियम में धारा 3 और धारा 4 इसी आधार पर तैयार की गई हैं.
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भगवतीचरण वोहरा की शहादत को याद करते हुए
- कल्पना पांडे
भगत सिंह के महत्वपूर्ण साथी भगवती चरण वोहरा का जन्म 4 नवंबर, 1903 को लाहौर में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। वे एक गुजराती ब्राह्मण थे। उनके पिता पंडित शिवचरण वोहरा रेलवे में एक उच्च पदस्थ अधिकारी थे। उन्हें अंग्रेजों द्वारा 'रायसाहब' की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया था। चूंकि उस समय टाइपराइटर नहीं था, इसलिए भगवती चरण के दादाजी आगरा को जीवन निर्वाह के लिए लिखते (किताबत) थे। उनके पूर्वज गुजरात से आगरा और आगरा से लाहौर चले गए। उपनाम वोहरा (संस्कृत मूल: व्यूह) का अर्थ उर्दू में व्यापारी भी है। माना जाता है कि भगवतीचरण के परिवार ने अपना अंतिम नाम खो दिया था क्योंकि उन्होंने लाहौर के मुस्लिम-बहुल इलाके में ब्राह्मण के रूप में अपनी नौकरी छोड़ दी थी। भगवती चरण के दादाजी के बारे में एक मजेदार कहानी है। उस समय वह एक रुपया प्रतिदिन कमाते थे, और एक रुपया कमाने के बाद वह काम करना बंद कर दिया करते थे। डेढ़ सौ साल पहले आज की तरह असुरक्षा और लालच नहीं था। 1918 में, जब वह सिर्फ 14 साल के थे, उनके माता-पिता ने उनकी शादी 11 वर्षीय दुर्गावती देवी से कर दी, जिन्होंने 5 वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी।
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सहारा और सपा की कानूनी ढाल बनेंगे कपिल सिब्बल
चरण सिंह राजपूत-
सहारा के चैयरमैन सुब्रत राय तो कानूनी रूप से घिर ही चुके हैं अब सपा दिग्गजों पर भी कानूनी शिकंजा कसा जाने का अंदेशा अखिलेश यादव को लगने लगा है। पिता मुलायम सिंह यादव के बल पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यध बने अखिलेश यादव जो राजनीति कर रहे हैं उसे समाजवाद तो कतई नहीं कहा जा सकता है। विपक्ष में रहते हुए भी आंदोलनों से दूर रहने वाले अखिलेश यादव पर अब पूंजीवाद में ढलने का अंदेशा जताया जाने लगा है। ओमप्रकाश राजभर के अखिलेश यादव को ऐसी से बाहर निकलकर जमीनी राजनीति करने की नसीहत भी उनको कोई सीख न दे सकी। अब वह कांग्रेसी कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेज रहे हैं। बाकायदा कपिल सिब्बल के पर्चा दाखिल करने के समय वह मौजूद रहे। कपिल सिब्बल को राज्यसभा भिजवाने में सहारा के चैयरमैन सुब्रत राय का बड़ा हाथ माना जा रहा है।
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15.5.22
सागर के मरीज इलाज के लिए दूसरे शहर जाने को है मजबूर!
सतीश भारतीय-
मध्यप्रदेश का सागर शहर जिसे 'भारत का हदयस्थल' भी कहा जाता है। सागर के अंतर्गत करीब 2244 गांव आते है। जिनकी अनुमानित जनसंख्या 30 लाख है। इस लाखों की तादाद वाले शहर में एक सरकारी मेडिकल कॉलेज है। जिसे बुन्देलखंड मेडिकल कॉलेज के नाम से भी जाना जाता है। यहां रोगों के उपचार हेतु शहर से लेकर गांव तक के लोग आते है। जिससे गरीब आवाम मेडिकल कॉलेज सागर को जिले की रीढ़ की हड्डी मानती है। लेकिन इतनी बड़ी मेडिकल कॉलेज में गंभीर बीमारियों की जांच और उपचार के लिए कोई उपयुक्त व्यवस्था नहीं है। जिससे सागर जिले के हजारों लोग रोेजाना नागपुर (दूरी करीब 400 किमीं), भोपाल (दूरी करीब 200 किमीं) और जबलपुर (दूरी करीब 180 किमीं) जैसे शहरों में इलाज कराने के लिए जाते है। ऐसे में मरीजों का इन शहरों में आने-जाने और इलाज कराने में तकरीबन 3 दिन तक का समय लग जाता है।
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फिनलैंड पर हमला करना रूस के लिए यूक्रेन से भी ज्यादा आसान है
डॉ. वेदप्रताप वैदिक-
नाटो का विस्तार और भारत.... ‘नाटो’ नामक सैन्य संगठन में अब यूरोप के दो नए देश भी जुड़नेवाले हैं। ये हैं- फिनलैंड और स्वीडन। इस तरह 1949 में अमेरिका की पहल पर बने 15 देशों के इस संगठन के अब 32 सदस्य हो जाएंगे। यूरोप के लगभग सभी महत्वपूर्ण देश इस सैन्य संगठन में एक के बाद एक शामिल होते गए, क्योंकि शीतयुद्ध के जमाने में उन्हें सोवियत संघ से अपनी सुरक्षा चाहिए थी और सोवियत संघ के खत्म होने के बाद उन्हें स्वयं को संपन्न करना था। फिनलैंड, स्वीडन और स्विटजरलैंड जान-बूझकर सैनिक गुटबंदियों से अलग रहे लेकिन यूक्रेन पर हुए रूसी हमले ने इन देशों में भी बड़ा डर पैदा कर दिया है। फिनलैंड तो इसलिए भी डर गया है कि वह रूस की उत्तरी सीमा पर अवस्थित है। रूस के साथ उसकी सीमा 1340 किमी की है, जो नाटो देशों से दुगुनी है। फिनलैंड पर हमला करना रूस के लिए यूक्रेन से भी ज्यादा आसान है।
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सुब्रत राय को संरक्षण देने के बराबर है सुप्रीम कोर्ट का पटना हाईकोर्ट के गिरफ्तारी वारंट पर स्टे देना!
चरण सिंह राजपूत-
नई दिल्ली। यह बात बहुत प्रचलित है कि कोर्ट पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। मीडिया में तो इस बारे में सख्त निर्देश होते हैं। सुप्रीम कोर्ट को तो देश की सर्वोच्च संस्था माना जाता है। क्या आज सुप्रीम कोर्ट अपनी विश्वसनीयता को बरकरार रख पा रहा है ? वैसे तो देश में अनगिनत मामले हैं जिनको लेकर सुप्रीम कोर्ट के रवैये को लेकर उंगली उठाई जा रही है पर सहारा के चैयरमेन का मामला तो ऐसा मामला बनता जा रहा है कि जैसे सुप्रीम कोर्ट उन्हें संरक्षण दे रहा हो।
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राज्यसभा चुनावः आजम-शिवपाल पर टिकी रहेंगी सबकी नजरें
अजय कुमार,लखनऊ
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12.5.22
बस्ती जिले की पत्र पत्रिकाओं पर प्रशासन ने कसा शिकंजा
बस्ती, अपर प्रेस पंजीयक, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत के समाचार पत्रों के पंजीयक कार्यालय नई दिल्ली द्वारा जनपद बस्ती से प्रकाशित समाचार पत्र/पत्रिकाओं की विगत पॉच वर्षो के दौरान वार्षिक विवरणी न प्रस्तुत करने पर प्रकाशन को निरस्त करने के लिए जिला कलेक्टर/जिला मजिस्टेªट को पत्र प्रेषित किया गया है। इस संबंध में जिलाधिकारी श्रीमती सौम्या अग्रवाल ने अपर जिलाधिकारी एवं सहायक निदेशक सूचना को अग्रिम कार्यवाही करने का निर्देश दिया है।
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अगर नई पीढ़ी ने सवाल नहीं किया तो आचार्य कृपलानी का संघर्ष अधूरा रह जाएगा - विजय दत्त श्रीधर
आचार्य कृपलानी स्मृति व्याख्यान : 2021-22
नई दिल्ली। देश की शासन व्यवस्था में जिस तरह 'तंत्र' यानी सिस्टम 'लोक' यानी जनता पर हावी हो रहा है, वह आज के समाज के लिए एक गंभीर चिंता है। इसको दुरुस्त करने के लिए नई पीढ़ी को सवाल करने होंगे। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वह संघर्ष अधूरा रह जाएगा जिसे आचार्य कृपलानी ने पंडित नेहरू के शासन काल मेँ शुरू किया था।
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नवोदय टाइम्स, पंजाब केसरी जलांधर, जगवाणी, हिंद समाचार ग्रुप में पिछले चार सालों से वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं
दोस्तों नमस्कार,
हमारे देश भारत में जो चौथा स्तंभों पर खड़ा हैं
1. न्यापालिका
2. कार्यपालिका
3.विधायकी
4. मीडिया
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सड़क पर नंगा करती है नये भारत की पुलिस
पहले वे कम्युनिस्टों के लिए आए।
और मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं कट नहीं बोला क्योंकि मैं ट्रेड यूनियन में नहीं था।
फिर वे यहूदियों के लिए आए और मैं कुछ नहीं बोला क्योंकि मैं यहूदी नहीं था फिर वे मेरे लिए आए
और तब कोई बचा ही नहीं था जो मेरे लिए बोलता"।
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मानवाधिकार मीडिया में पत्रकार बनाने का बढ़ रहा धंधा
देश का चौथा स्तंभ कहा जाने वाला मीडिया संस्थान अब मार्केट में दीपावली व होली की तरह ऑफर देने लगा है। जिससे युवाओं को बेरोजगार करने का ही रास्ता बनता जा रहा है। क्योंकि युवा पत्रकार बनने की होड़ में इन्हें 3 हजार रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक दे देते हैं। और वह पत्रकार बनकर समाज के अधिकारियों व सामाजिक लोगों को परेशान करने लगते हैं। जिससे कहीं कहीं पर इन मीडिया से जुड़े पत्रकारों को भी शोषित होना पड़ता है। उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थित मानवाधिकार मीडिया के नाम से एक संस्थान पिछले कई वर्षों से चल रहा है।
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अब दुनिया विचारों से नहीं टेक्नोलॉजी से बदल रही है - हरिवंश
सोशल मीडिया के दौर में प्रिंट मीडिया कैसे बचाए अपना वजूद विषय पर राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान आयोजित
इंदौर प्रेस क्लब के स्थापना दिवस पर वरिष्ठ पत्रकारों का हुआ सम्मान
इंदौर। टेक्नोलॉजी बेहद खतरनाक है, जो हमारे मानवीय मूल्यों और सिद्धांतों पर ग्रहण लगा रही है। इससे बचने की जरूरत है। पहले दुनिया विचारों से बदलती थी, लेकिन अब टेक्नोलॉजी से बदल रही है। पहले हमारे सबसे बड़े विचारों के पुंज काशी, प्रयाग, पाटलिपुत्र हुआ करते थे, लेकिन अब सिलिकॉन वैली, हैदराबाद पुणे जैसे स्थान हो गए हैं। यह विचार राज्यसभा के उपसभापति श्री हरिवंश के हैं, जो उन्होंने इंदौर प्रेस क्लब के 60वें स्थापना दिवस पर जाल सभागृह में आयोजित सोशल मीडिया के दौर में प्रिंट मीडिया कैसे बचाए अपना वजूद विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में व्यक्त किए। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता ने की। विषय प्रवर्तन वरिष्ठ पत्रकार डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने किया। यह व्याख्यान मूर्धन्य पत्रकार राजेंद्र माथुर की स्मृति में किया गया था। इस अवसर पर पत्रकारिता की स्वर्णिम यात्रा पूर्ण कर चुके वरिष्ठ पत्रकारों का सम्मान किया गया। मंच पर हिमाचल प्रदेश के पूर्व राज्यपाल जस्टिस वी.एस. कोकजे, सांसद श्री शंकर लालवानी, दे.अ.वि.वि. की कुलपति डॉ. रेणी जैन विशेष रूप से मौजूद थे।
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For unaffordable and money making fee structure at noida
Respected/Hon'ble Sir,
Through this e-mail I wants to bring into your notice about the costlier and unaffordable education in private schools at noida.This is a serious issue as the education is the basics of every child's life.
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अजीत अंजुम जी के नाम एक खुला पत्र
अजीत अंजुम जी,
हाल ही में आपने सोशल मीडिया अकाउंट्स के माध्यम से अपने यूट्यूब चैनल के लिए कुछ वैकेंसी निकाली हैं। ज़ाहिर सी बात है आप पत्रकारिता कर रहे हैं तो अकेले आख़िर कितना काम करेंगे काम में हाथ बंटाने वाले कुछ लोग तो चाहिए ही होंगे जो आपके काम को अपना समझकर कर सकें। इसी वजह से टीम को बढ़ाने की आवश्यकता भी होगी और यह ज़रूरी भी है। चूँकि आप देश के वायरल पत्रकारों में से एक हैं तो कल आपकी पोस्ट चंद घंटों में ही पत्रकारिता जगत से जुड़े हज़ारों लोगों की मोबाइल स्क्रीन पर फ़्लैश कर गई जिसके बाद से एक बहस छिड़ी हुई है और उसी बहस में सोशल मीडिया के धुरंधरों ने आपका भूतकाल तक खोद निकाला है। यहाँ तक कि लोगों ने आप पर सामंतवादी सोच का होने से लेकर जूनियर्स से जबरन समय से ज़्यादा काम कराने समेत कई तरह के आरोप मढ़ दिए हैं। ख़ैर, जो बहस छिड़ी है वह लाज़मी भी है। क्यों की आपने पोस्ट में मोटा-माटी एक दर्जन से अधिक खूबियाँ गिना दी हैं जो आप सामने वाले में ढूँढ रहे हैं। फ़िलहाल देश यह नहीं जानता की उनमें से आपके अंदर कितनी खूबियाँ हैं।
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अधिमान्य पत्रकार का नहीं कोई मापदण्ड
राष्ट्रचंडिका/ सिवनी। मीडियाकर्मियों को अधिमान्य पत्रकार का दर्जा दिया जाने को लेकर जो खेल चल रहा है वह किसी से छिपा नहीं है। लोग 30 वर्षो से कार्य करने के बाद भी अपने आपको अधिमान्य पत्रकार का दर्जा नहीं दिला पाये और कुछ स्थानों पर स्थिति है एक समाचार पत्र से ही अनेक लोग जो अधिमान्य पत्रकार के मानक मापदंडो के विरूद्ध अधिमान्य होकर शासन की योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।
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लुधियाना का बूढ़ा नाला : पानी रे पानी, तेरा रंग क्यों इतना काला?
12 सौ करोड़ के प्रोजेक्ट के उपरांत भी हालात में नहीं हो पा रहा सुधार
नामधारी सतगुरु उदयसिंह भी अब अध्यक्ष पद छोडऩे का कर रहे विचार
जिस कमेटी में मुख्य सचिव, वह कमेटी भी अधिकारियों में इच्छाशक्ति को नहीं कर पाई बलवती
द सांध्य नेटवर्क
लुधियाना/श्रीगंगानगर। राजस्थान के श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ सहित आधा दर्जन जिलों में पेयजल के रूप में जिस सतलुज नदी के पानी का इस्तेमाल किया जाता है, उस नदी की हालत को सुधारने के लिए नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, केन्द्र सरकार ने बहुतेरे प्रयास किये। मोदी सरकार ने 12 सौ करोड़ से ज्यादा बजट भी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के रूप में मंजूर किया किंतु लुधियाना नगर निगम, प्रशासन के अधिकारियों की इच्छाशक्ति के अभाव में यह कार्य नहीं हो पाया। पंजाब सरकार ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक निगरानी कमेटी का भी गठन किया ताकि कार्य निर्बाध गति से पूर्ण किया जा सके किंतु यह कमेटी भी उद्योगों के रसायन को सतलुज नदी तक जाने से नहीं रोक पायी। नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल करीबन पांच सौ करोड़ रुपये सरकार पर जुर्माना लगा चुका है किंतु नतीजा जीरो है। इन सब हालात को देखते हुए नामधारी सतगुरु उदयसिंह अब कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं।
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11.5.22
लघुपत्रिकाएं : वैकल्पिक पत्रकारिता का स्वप्न
- शैलेन्द्र चौहान
दिनेशपुर, उत्तराखंड में अखिल भारतीय लघु पत्र-पत्रिका सम्मेलन का आयोजन हो रहा है| कुछ समय पूर्व पलाश विश्वास ने पत्रकारिता और साहित्य के संपादन संबधों की चर्चा की थी जिसमें मूल बात यह थी कि रघुवीर सहाय और सव्यसाची जैसे संपादक नये लोगों की रचनाओं को एकदम रिजेक्ट न करके उनकी कमियां बताते थे| उन्हें ठीक करवाते थे और छापते थे| एक और संपादक प्रभाष जोशी को भी एक प्रोफेशनल और समूह-नायक के तौर पर याद किया है| यद्दपि उनके विचारों को लेकर कुछ विवाद भी रहे लेकिन उनका योगदान अवश्य अविस्मरणीय है| आज विडंबना यह है कि दूरदराज के लेखकों को विकसित करना और प्रशिक्षित करना संपादकों के द्वारा अब नहीं हो पा रहा है| यह अब मुश्किल है|
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मासूम हाथ परोस रहे शराब
Shashi kant kushwaha-
सिस्टम की खामियों का खामियाजा भुगत रहे मासूम बच्चे
सिंगरौली: चिराग तले अंधेरा की कहावत तो हम सभी पूरी तरह से वाकिफ हैं ऐसा ही एक मामला सिंगरौली जिले से निकल कर सामने आया है दरसल यह हमारे सिस्टम की बड़ी लापरवाही के रूप में कही जा सकती है। ऐसा नही है कि इस मामले की जानकारी जिम्मेदारों को नही है वो बात अलग है कि इतनी बड़ी लापरवाही को जिम्मेदार नजरअंदाज कर रहे हैं । कुछ दिनों पहले हमने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर इसकी खबर प्रमुखता से उठाया था ।दरशल महज 8 से 10 साल उम्र के बच्चे जिनकी उम्र खेलने कूदने पढ़ने लिखने की है वो बच्चे अवैध मयखाने में शराब परोसने प्लेट लगाने और जूठी प्लेट उठाने का कार्य करते हैं वह भी हमारे सिस्टम की नाकामी की वजह से ।
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आजादी की पहली चिंगारी : ब्रिटिश सरकार ने माना कि भारत पर शासन में बहुत गलतियां हुईं!
- शैलेन्द्र चौहान
1857 में वह ऐतिहासिक दिन 10 मई था, जब देश की आजादी के लिए पहली चिंगारी मेरठ से भड़की थी। सबसे पहले मेरठ के सदर बाजार में अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ चिंगारी भड़की, जो पूरे देश में फैल गई। मेरठ के क्रांति स्थल और अन्य धरोहर आज भी क्रांति की याद ताजा करती हैं। 1857 में अंग्रेजों को भारत से खदेड़ने के लिए रणनीति तय की गई थी। एक साथ पूरे देश में आजादी का बिगुल फूंकना था, लेकिन मेरठ में तय तारीख से पहले अंग्रेजों के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। इतिहासकारों की मानें और राजकीय स्वतंत्रता संग्रहालय में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित रिकार्ड को देखें तो दस मई 1857 को शाम पांच बजे जब गिरिजाघर का घंटा बजा, तब लोग घरों से निकलकर सड़कों पर एकत्र होने लगे। सदर बाजार क्षेत्र में अंग्रेज फौज पर भीड़ ने हमला बोल दिया। नौ मई को 85 सैनिकों का कोर्ट मार्शल किया गया था। उन्हें विक्टोरिया पार्क स्थित नई जेल में बंद कर दिया था। दस मई की शाम इस जेल को तोड़कर 85 सैनिकों को आजाद करा दिया गया। कुछ सैनिक रात में ही दिल्ली पहुंच गए और कुछ सैनिक 11 मई की सुबह दिल्ली रवाना हुए और दिल्ली पर कब्जा कर लिया था।
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झांसी मंडल में योगी का दौरा और उनकी साफगोई से बंधी उम्मीदें
K.P.Singh-
बुन्देलखण्ड का इलाका उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े अंचलों में गिना जाता है। लेकिन यह धार्मिक महत्व का इलाका भी है। माना जाता है कि रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास की जन्म भूमि और कर्मभूमि दोनों बुन्देलखण्ड में थी इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का इस अंचल के प्रति विशेष अनुराग सर्व विदित है। उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड को प्रशासनिक दृष्टिकोण से अब दो भागों में विभक्त कर दिया गया है। झांसी मंडल अलग हो गया है और बांदा मंडल चित्रकूट मंडल के नाम से अलग है। पुलिस की दृष्टिकोण से तो और अधिक भिन्नता है। झांसी रेंज कानपुर जोन का हिस्सा है जबकि बांदा रेंज अभी भी इलाहाबाद जोन में ही शामिल रखा गया है।
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