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15.5.22

सुब्रत राय को संरक्षण देने के बराबर है सुप्रीम कोर्ट का पटना हाईकोर्ट के गिरफ्तारी वारंट पर स्टे देना!

चरण सिंह राजपूत-

नई दिल्ली। यह बात बहुत प्रचलित है कि कोर्ट पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए। मीडिया में तो इस बारे में सख्त निर्देश होते हैं। सुप्रीम कोर्ट को तो देश की सर्वोच्च संस्था माना जाता है। क्या आज सुप्रीम कोर्ट अपनी विश्वसनीयता को बरकरार रख पा रहा है ?  वैसे तो देश में अनगिनत मामले हैं जिनको लेकर सुप्रीम कोर्ट के रवैये को लेकर उंगली उठाई जा रही है पर सहारा के चैयरमेन का मामला तो ऐसा मामला बनता जा रहा है कि जैसे सुप्रीम कोर्ट उन्हें संरक्षण दे रहा हो।

जब विभिन्न राज्यों में सुब्रत राय के खिलाफ धोखाधड़ी और भुगतान न करने के तमाम मामले दर्ज हो रहे हैं। जब सुब्रत राय का निवेशकों के साथ धोखाधड़ी करने का मामला विधानसभा से लेकर लोकसभा तक में उठ चुका है तो फिर पटना हाई कोर्ट के सुब्रत राय के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट पर सुप्रीम कोर्ट को स्टे देने का क्या मतलब है ? क्या इन परिस्थितियों में सुब्रत राय निवेशकों को पैसा देंगे ? सहारा पर निवेशकों का 2 लाख करोड़ से ऊपर बकाया बताया जा रहा है। सहारा में जो कर्मचारी हैं उनका पैसा भी नहीं मिल रहा है। कर्मचारियों का भी हजारों करोड़ रुपये सुब्रत राय डकारे बैठे हैं। वेतन भी कई कई महीने में मिल रहा है। कपिल सिब्बल की फीस देने के लिए सुब्रत राय के पास पैसा है पर निवेशकों को देने के लिये नहीं। वैसे कपिल सिब्बल जैसे वकील का भी विरोध होना चाहिए। कपिल सिब्बल वकील के साथ एक नेता भी हैं। जो नेता वकील जनता के खिलाफ खड़ा होकर आरोपी का पक्ष लेता है, उसका राजनीति में विरोध होना बनता है। 

सुब्रत राय एक बड़े आर्थिक पेशेवर अपराधी हैं। 

क्या देश के कानून में कोई व्यक्ति 6 साल से ऊपर पैरोल पर जेल से बाहर रह सकता है। सुब्रत राय हैं, सुप्रीम कोर्ट ने ही इन महाशय को इनकी माता के निधन पर 2016 में पैरोल दी थी और अभी तक ध्यान नहीं आया। क्या कपिल सिब्बल जैसे वकील जनता के खिलाफ औऱ आर्थिक पेशेवर अपराधी के पक्ष में खड़े हो जाएंगे तो सुप्रीम कोर्ट जैसी संस्था दबाव में आ जाएगी ? यदि नहीं तो जिस केस में हाई कोर्ट सख्ती बरत रहा है उसमें सुप्रीम कोर्ट की नरमी क्यों ? पटना हाई कोर्ट कोई किसी निर्दोष व्यक्ति को तो परेशान नहीं कर रहा है। उस व्यक्ति पर शिकंजा कस रहा है, जिसकी मक्कारी से खुद सुप्रीम कोर्ट भी अवगत है। 

क्या सहारा-सेबी  का केस स्पष्ट नहीं होना चाहिए ? क्या निवेशकों का पैसा नहीं मिलना चाहिए ? क्या सुब्रत राय को निवेशकों के साथ की गई धोखाधड़ी की सजा नहीं मिलनी चाहिए ? यदि हां तो सुब्रत राय को राहत देकर सुप्रीम कोर्ट निवेशकों को निराश कर रहा है। 


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