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26.5.22

सहारा और सपा की कानूनी ढाल बनेंगे कपिल सिब्बल

चरण सिंह राजपूत-

सहारा के चैयरमैन सुब्रत राय तो कानूनी रूप से घिर ही चुके हैं अब सपा दिग्गजों पर भी कानूनी शिकंजा कसा जाने का अंदेशा अखिलेश यादव को लगने लगा है। पिता मुलायम सिंह यादव के बल पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और सपा के राष्ट्रीय अध्यध बने अखिलेश यादव जो राजनीति कर रहे हैं उसे समाजवाद तो कतई नहीं कहा जा सकता है। विपक्ष में रहते हुए भी आंदोलनों से दूर रहने वाले अखिलेश यादव पर अब पूंजीवाद में ढलने का अंदेशा जताया जाने लगा है। ओमप्रकाश राजभर के अखिलेश यादव को ऐसी से बाहर निकलकर जमीनी राजनीति करने की नसीहत भी उनको कोई सीख न दे सकी। अब वह कांग्रेसी कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेज रहे हैं। बाकायदा कपिल सिब्बल के पर्चा दाखिल करने के समय वह मौजूद रहे। कपिल सिब्बल को राज्यसभा भिजवाने में सहारा के चैयरमैन सुब्रत राय का बड़ा हाथ माना जा रहा है।


दरअसल सहारा के चैयरमेन सुब्रत राय और सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के रिश्ते जगजाहिर हैं। गत दिनों जब सुब्रत राय के खिलाफ पटना हाईकोर्ट ने गैरजमानती वारंट जारी किया तो कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए सुब्रत राय के खिलाफ पटना हाईकोर्ट के गैर जमानती वारंट पर स्टे दिलवा दिया। इतना ही नहीं सुब्रत राय जो 6 साल से पैरोल पर जेल से बाहर हैं वह भी कपिल सिब्बल की वजह से हैं। सुब्रत राय के खिलाफ देश के हर राज्य में हजारों मुकदमे दर्ज हैं। तमाम आंदोलन सहारा के खिलाफ चल रहे हैं। वैसे भी अब अखिलेश यादव और उनके मुख्य महासचिव राम गोपाल यादव को लगने लगा है कि अब मोदी और योगी सरकार यादव परिवार के खिलाफ टेढ़ी नजर करने वाली है। ऐसे में उन्हें कपिल सिब्बल उनकी मदद करने वाला मजबूत वकील दिखाई दे रहा है।

दरअसल कपिल सिब्बल के कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद अब उनको कांग्रेस से बाहर ही माना जा रहा था। कपिल सिब्बल को राज्यसभा में भेजकर अखिलेश यादव एक तीर से दो शिकार करना चाहते हैं। एक तो भाजपा के खिलाफ बोलने वाला एक मजबूत वक्ता मिल रहा है तो दूसरी ओर आज की तारीख में कानूनी रूप से राहत दिलवाने वाला कपिल सिब्बल से मजबूत वकील उन्हें दिखाई नहीं दे रहा है। इससे वह सुब्रत राय की मदद भी कर पाएंगे। वैसे भी सहारा में मुलायम सिंह यादव के पैसे लगे होने की खबरें भी समय समय पर आती रही हैं।

दरअसल उत्तर प्रदेश में सपा और सहारा एक दूसरे के पूरक माने जाते रहे हैं। मुलायम सिंह यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए ही सुब्रत राय ने ओने पौने दाम पर किसानों की लगभाग 300 एकड़ जमीन कब्जाकर सहारा शहर बसाया था। 2003 में जब भाजपा ने उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार से समर्थन वापस लिया था और मुलायम सिंह की सरकार बनी थी  तो सरकार बनाने में सहारा का बड़ा योगदान था। बाकायदा सुब्रत राय के सपा कार्यकर्ताओं के जश्न के लिए हर जिले में पांच पांच हजार रुपये भेजने की बात भी सामने आई थी। 2012 में जब अखिलेश सरकार बनी तो शपथ ग्रहण समारोह का पूरा खर्च सुब्रत राय के उठाने की बात भी सामने आई थी। सुब्रत राय ने कई बार मुलायम और अखिलेश यादव की कैबनेट को सहारा शहर बुलाकर पार्टी भी दी थी। जब सुब्रत राय ने अपने बेटों सुशांतो राय और सुशांतों राय की विश्वस्तरीय शादी की तो मुलायम सिंह यादव उस फंक्शन के मुख्य अतिथि थे।

दरअसल सुब्रत राय कपिल सिब्बल को राज्यसभा भिजवाकर अपने को कानूनी रूप से मजबूत करना चाहते हैं। कपिल सिब्बल जब सपा के सांसद होंगे तो उन पर एक दबाव भी बन जायेगा। वैसे भी सुब्रत राय पर सेंट्रल रजिस्ट्रार के अनुसार भी सहारा पर 80 हजार करोड़ की देनदारी है। निवेशकों की लड़ाई लड़ रहे राष्ट्रीय उपकार संयुक्त मोर्चे के अध्यक्ष दिनेश दिवाकर और दूसरे आंदोलनकारी तो सहारा पर 2 लाख करोड़ से ऊपर की देनदारी बता रहे हैं। अब देखना यह है कि अपने वजूद की लड़ाई लड़ रहे सपा के दिग्गज अखिलेश यादव के इस फैसले से कितना संतुष्ट होते हैं।

अखिलेश यादव पर यह उंगली तो उठेगी कि क्या अखिलेश यादव को सपा में कोई नेता ऐसा नहीं मिला जिसे वह राज्य सभा भेज सकते। दरअसल अब सहारा और सपा दोनों को कपिल सिब्बल जैसे शातिर वकील की जरूरत है। जो वकील शोषितों के खिलाफ और शोषकों के पक्ष में मुकदमे लड़ता हो उसे अखिलेश यादव राज्यसभा भेजकर अपने समाजवाद की परिभाषा बता रहे हैं। वैसे कपिल सिब्बल को अखिलेश के राज्यसभा में भेजने की तैयारी से लोगों को समझ लेना चाहिए कि अब सपा नेताओं पर शासनिक और प्रशासनिक गाज गिरने वाली है। वैसे भी कपिल सिब्बल पूंजीपति और उनके पैरोकार हैं।

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