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20.11.07

कादम्बिनी में भड़ास ( पूर्व संकलन से!! )

भडास के कुछ चुनिंदा लेख मेरे पास संरक्षित हैं, यदि कोई सदस्य अपने पूर्व में
लिखी गई प्रविष्टी को ब्लाग पर दोबारा डालना चाहे तो मुझसे संपर्क कर सकते हैं।
mickymathur@gmail.com
कादम्बिनी में भड़ास
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कादम्बिनी के अक्टूबर 07 अंक में ब्लॉगिंग की चर्चा की गई है। ब्लॉगिंग -ऑनलाइन विश्व की आजाद अभिव्यक्ति में भड़ास सहित हिन्दी के कई ब्लॉग्स की बात की गई है। मूल आलेख के कुछ अंश.... ------------------------......ब्लॉगिंग शब्द अंग्रेजी के 'वेब लॉग' (इंटरनेट आधारित टिप्पणियां) से बना है, जिसका तात्पर्य ऐसी डायरी से है जो किसी नोटबुक में नहीं बल्कि इंटरनेट पर रखी जाती है। पारंपरिक डायरी के विपरीत वेब आधारित ये डायरियां (ब्लॉग) सिर्फ अपने तक सीमित रखने के लिए नहीं हैं बल्कि सार्वजनिक पठन-पाठन के लिए उपलब्ध हैं। चूंकि आपकी इस डायरी को विश्व भर में कोई भी पढ़ सकता है इसलिए यह आपको अपने विचारों, अनुभवों या रचनात्मकता को दूसरों तक पहुंचाने का जरिया प्रदान करती है और सबकी सामूहिक डायरियों (ब्लॉगमंडल) को मिलाकर देखें तो यह निर्विवाद रूप से विश्व का सबसे बड़ा जनसंचार तंत्र बन चुका है। उसने कहीं पत्रिका का रूप ले लिया है, कहीं अखबार का, कहीं पोर्टल का तो कहीं ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा के मंच का। उसकी विषय वस्तु की भी कोई सीमा नहीं। कहीं संगीत उपलब्ध है, कहीं कार्टून, कहीं चित्र तो कहीं वीडियो। कहीं पर लोग मिल-जुलकर पुस्तकें लिख रहे हैं तो कहीं तकनीकी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है। ब्लॉग मंडल का उपयोग कहीं भाषाएं सिखाने के लिए हो रहा है तो कहीं अमर साहित्य को ऑनलाइन पाठकों को उपलब्ध कराने में। इंटरनेट पर मौजूद अनंत ज्ञानकोष में ब्लॉग के जरिए थोड़ा-थोड़ा व्यक्तिगत योगदान देने की लाजवाब कोशिश हो रही है। सीमाओं से मुक्त अभिव्यक्ति ब्लॉगिंग है एक ऐसा माध्यम जिसमें लेखक ही संपादक है और वही प्रकाशक भी। ऐसा माध्यम जो भौगोलिक सीमाओं से पूरी तरह मुक्त, और राजनैतिक-सामाजिक नियंत्रण से लगभग स्वतंत्र है। जहां अभिव्यक्ति न कायदों में बंधने को मजबूर है, न अल कायदा से डरने को। इस माध्यम में न समय की कोई समस्या है, न सर्कुलेशन की कमी, न महीने भर तक पाठकीय प्रतिक्रियाओं का इंतजार करने की जरूरत। त्वरित अभिव्यक्ति, त्वरित प्रसारण, त्वरित प्रतिक्रिया और विश्वव्यापी प्रसार के चलते ब्लॉगिंग अद्वितीय रूप से लोकप्रिय हो गई है। ब्लॉगों की दुनिया पर केंद्रित कंपनी 'टेक्नोरैटी' की ताजा रिपोर्ट (जुलाई २००७) के अनुसार ९.३८ करोड़ ब्लॉगों का ब्यौरा तो उसी के पास उपलब्ध है। ऐसे ब्लॉगों की संख्या भी अच्छी खासी है जो 'टेक्नोरैटी' में पंजीकृत नहीं हैं। समूचे ब्लॉगमंडल का आकार हर छह महीने में दोगुना हो जाता है। सोचिए आज जब आप यह लेख पढ़ रहे हैं, तब अभिव्यक्ति और संचार के इस माध्यम का आकार कितना बड़ा होगा?आइए फिर से अभिव्यक्ति के मुद्दे पर लौटें, जहां से हमने बात शुरू की थी। हालांकि ब्लॉगिंग की ओर आकर्षित होने के और भी कई कारण हैं जो चाहें, लिखें और अगर चाहते हैं कि इसे दूसरे लोग भी पढ़ें तो ब्लॉग पर डाल दें। किसी को जँचेगा तो पढ़ लेगा वरना आगे बढ़ जाएगा। ब्लॉगिंग वस्तुत: एक लोकतांत्रिक माध्यम है। यहां कोई न लिखने के लिए मजबूर है, न पढ़ने के लिए।लेकिन अधिकांश विशुद्ध, गैर-व्यावसायिक ब्लॉगरों ने अपने विचारों और रचनात्मकता की अभिव्यक्ति के लिए ही इस मंच को अपनाया। जिन करोड़ों लोगों के पास आज अपने ब्लॉग हैं, उनमें से कितने पारंपरिक जनसंचार माध्यमों में स्थान पा सकते थे? स्थान की सीमा, रचनाओं के स्तर, मौलिकता, रचनात्मकता, महत्व, सामयिकता आदि कितने ही अनुशासनों में निबद्ध जनसंचार माध्यमों से हर व्यक्ति के विचारों को स्थान देने की अपेक्षा भी नहीं की जा सकती। लेकिन ब्लॉगिंग की दुनिया पूरी तरह स्वतंत्र, आत्मनिर्भर और मनमौजी किस्म की रचनात्मक दुनिया है। वहां आपकी 'भई आज कुछ नहीं लिखेंगे' नामक छोटी सी टिप्पणी का भी उतना ही स्वागत है जितना कि जीतेन्द्र चौधरी की ओर से वर्डप्रेस पर डाली गई सम्पूर्ण रामचरित मानस का। 'भड़ास' नामक सामूहिक ब्लॉग के सूत्र वाक्य से यह बात स्पष्ट हो जाती है- कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिए... मन हल्का हो जाएगा..। शैशव काल में है हिंदी ब्लॉगिंगहिंदी में अभी ब्लॉगिंग अपने शैशव काल में है। अंग्रेजी में जहां ब्लॉगिंग १९९७ में शुरू हो गई थी वहीं हिंदी में पहला ब्लॉग दो मार्च २००३ को लिखा गया। समय के लिहाज से अंग्रेजी और हिंदी के बीच महज छह साल की दूरी है लेकिन ब्लॉगों की संख्या के लिहाज से दोनों के बीच कई प्रकाश-वर्षों का अंतर है। अंग्रेजी अंग्रेजी में जहां ब्लॉगिंग १९९७ में शुरू हो गई थी वहीं हिंदी में पहला ब्लॉग दो मार्च २००३ को लिखा गया। समय के लिहाज से अंग्रेजी और हिंदी के बीच महज छह साल की दूरी है लेकिन ब्लॉगों की संख्या के लिहाज से दोनों के बीच कई प्रकाश-वर्षों का अंतर है.....-
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लेखक= - बालेन्दु शर्मा दाधीच
balendu@gmail.com
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अंकित माथुर

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