बहुत पहले फेसबुक पर अपना एकाउंट इसलिए खोल लिया था कि फेसबुक की चर्चा काफी हो रही थी और कई बड़े लोगों ने इसमें अपना अकाउंट बना रखा था। लेकिन शुरुआती कुछ एक दो दिनों तक फेसबुक खोलकर दायें बायें माउस हिलाने-डुलाने के दौरान कुछ खास चीज मेरे भेजे में न घुस सकी जिससे मैं फेसबुक और आरकुट में कोई खास अंतर कर सकूं। इसलिए फेसबुक के अपने अकाउंट को अनाथ छोड़कर आरकुट पर ही दिल लगाये रहा। लेकिन इन दिनों फेसबुक से ढेरों मित्रों के फ्रेंड रिक्वेस्ट मेल बाक्स में आ रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि दो जगह एक ही काम के लिए एकाउंट रखूं। कोई तकनीकी विद्वान समझाए कि आरकुट और फेसबुक में बुनियादी फर्क क्या है और क्यों आरकुट अकाउंट के साथ फेसबुक अकाउंट रखना जरूरी है।
फर्जी आईडी और नाम से भड़ासी ना बनें
दूसरी बात, भड़ास के जितने भी मेंबर हैं उनमें से ज्यादातर को मैं जानता हूं लेकिन कुछ एक फर्जी आईडी से फर्जी नाम से भी लोग हैं जिन्हें आज डिलीट कर दिया। कृपया अगर कोई फर्जी नाम से भी आए तो वो मुझे विश्वास में लेकर आए ताकि यह तो पता रहे कि आखिर जो मेंबर है उसकी पहचान क्या है। मैं पहचान नहीं खोलूंगा यह वादा है लेकिन मुझे भरोसा तो रहेगा कि हां, उस बंदे पर मुझे विश्वास है। वैसे भी भड़ास की मेंबरशिप कलेजे वालों के लिए है, डरपोक लोगों के लिए नहीं जो बातें भी कहना करना चाहते हैं और पहचान भी छिपाना चाहते हैं। इसी के चलते परेशान आत्मा नामक भड़ासी पर गाज गिरा दी है। उनकी मेंबरशिप हटा दी गई है। कृपया परेशान आत्मा से अनुरोध है कि वो मुझे फोन कर विश्वास में ले लें, मेरा दिल हमेशा अपने दोस्तों और भाइयों के लिए पाक-साफ रहता है, चाहें उसने जितना भी बड़ा कर्म या कुकर्म किया हो। दोस्ती है तो है।
जय भड़ास
यशवंत
20.11.07
फेसबुक और आरकुट में फरक क्या है, कोई समझाए....
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