भड़ास फिर से सब के लिए खुल गया. शायद मेरे नाम से आप लोंगों को अचंभा हो.
लेकिन क्या करूँ दुनियाँ में कोई आदमी ऐसा नही है जिसकी आत्मा कभी ना कभी परेशान ना होती हो. इस कारण मैने अपना नाम परेशान आत्मा रख लिया.
जब भी आपकी आत्मा परेशान होगी, यक़ीन दिलाता हूँ आपकी कलाम ज़रूर परेशान आत्मा के रूप में लिखने के लिए बेचैन होगी.
बस दिल और आत्मा की आवाज़ तो सुनिए.
परेशान आत्मा
16.11.07
आत्मा की परेशानी को समझिए और बस लिख भेजिए
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