बड़के भईया यशवंत भडासी को नमश्कार॥
पता नही कौन सी खटिया के तले पडे थे।
फ़ुनवा भी कभी मिल जाये तो मिल जाये नही तो आउट आफ़ कवरेज एरिया।
खैर छोडिये जो हुआ सो हुआ।
अब भडास फ़िर निकलेगी और खूब ज़ोर से निकलेगी।
हमने तो कहीं भी लिखना पढना भी छोड़ दिया था।
यकायक भडास बंद, सारी पोस्ट गायब!
हैरान और परेशान होने के अलावा कुछ बचा ही नही।
रात को ही फ़ोन करा और पाया कि कुछ तकनीकी खराबी नही है,
यशवंत भाई ने खुद ही ब्लाग डिलीट मार दिया है।
कारण तो पता नही चल पाया, लेकिन निवारण उन्होने खुद ही कर डाला है अब।
खैर मज़ा आ गया।
जय भडास॥ जय भडास ॥
जय भडास॥
अंकित माथुर...
13.11.07
नई शुरुआत, नई भडास। जो भी हो जय भडास...
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