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16.6.08

तबीयत मगर है आज भी सलमान खान की।

बरसाती-ग़ज़ल
छत टपक रही है मेरे बूढ़े मकान की
बरसात लाई मुश्किलें सारे जहान की
बादल की टंकियों से क्यों पानी टपक रहा
टोंटी चुरा ली क्या किसी ने आसमान की
व्हिस्की के संग मंगोड़े हों रिमझिम फुहार में
फरमाइशें तो देखिए ठलुए जवान की
ड्रायर लगा- लगा के सुखानी पड़ी उसे
बारिश में भीगी इस कदर दाढ़ी पठान की
भेजे में गूंजती है मेढ़क की टर्र-टर्र
बारिश में रिपेयरिंग क्यों कराई कान की
भीगे बदन फुहार में लहरा के आ गये
रौनक जवान हो गई भुतहा दुकान की
तासीर देखिए ज़रा खैनी के पान की
बुड्ढा निकालता है अकड़ नौजवान की
नाक- कान -बाल - सभी खस्ता हाल हैं
तबीयत मगर है आज भी सलमान खान की।
पं. सुरेश नीरव
मों.९८१०२४३९६६

2 comments:

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

पंडित जी,खिसिर-खिसिर करके काम नहीं चल रहा है इसलिये जोर से ठहाका मार लेता हूं बात ही ऐसी कही आपने..... :-)

Anonymous said...

नाक- कान -बाल - सभी खस्ता हाल हैं
मगर पण्डित नीरव फ़िर भी लाल गुलाब हैं।

पण्डित जी प्रणाम,

आपके हास्य ने सच में हमारे जीवन को मधुर बना दिया है इसी तरह हंसाते रहिये ओर

नीरव हुए लाल गुलाब,
संग हि भडासी भी।

जय जय भडास