भाई यशवंत , मैंने करुणाकर के बारे पढ़ा। बहुत दुःख भी हुआ की एक होनहार किस तरह से मौत से लड़ रहा है। लेकिन मैं इस बात से खुश हूँ की भड़ास के साथियों ने किस तरह से करुनाकर के मदद के लिए पहल की है । मैं भी औरंगाबाद के अपने भाइयों के साथ मिलकर करुनाकर खाते मैं पैसे डालने का निशचय किया है । एक-दो दिन यह कम पुर हों जाएगा। मैं डॉक्टर रुपेश्जी का भी बहुत ही शुक्रगुजार हूँ , जिन्होंने करुनाकर के लिए मानवता का परिचय दिया है। अमित भी साधुवाद के पात्र है। अब अगले पोस्ट में फिर बातें होंगी.
30.6.08
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1 comment:
आदित्य जी,शत-प्रतिशत मानव हूं इस लिये बस मानवता ही दिखा सकता हूं इसमें कोई बड़ी बात नहीं है,आपके सत्प्रयासों को भी ईश्वर देख ही रहा है। आप और आपके साथियों को दिल से प्रणाम...
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