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25.6.08

मां रोती क्यों है

उत्तरप्रदेश के अधिकांश हिस्सों में एक प्रथा है. शादी के लिए बेटे की बारात बिदा करते समय,हर मां आखिरी बार बेटे को दूध पिलाती है.उस दौरान अधिकतर मांओं को मैंने रोते हुए देखा है. मेरी मां ने भी शादी के समय मुझे दूध पिलाया था. मैंने देखा कि उसकी आंखें नम थीं. इसका कारण आज तक ढूंढ़ने की कोशिश कर रहा हूं.हर मां अपने बेटे को दूल्हा बने देखना चाहती है. उसकी खुशियां चाहती है. संतान को जरा सी तकलीफ होने पर रोने लगती है. उसकी खुशी के लिए कुछ भी करने के लिए हर समय तैयार रहती है. पर जब बेटा जवान होकर दुल्हनियां लाने चलता है, तो मां रोती क्यों है? क्या इसलिए कि उस दिन उसका बेटा पराया हो जाता है. या फिर इसलिए कि उस दिन मां सबसे अधिक खुश होती है. या फिर इसलिए कि वह यह सोचती है कि जो बेटा कल तक उसकी गोद में खेलता था, कितनी जल्दी बड़ा हो गया. कारण जो भी हो, मां आखिर रोती क्यों है???????????????

2 comments:

ताऊ रामपुरिया said...

भाई शुक्ला जी आपनै सारी बातों का जबाव खुद ही दे लिया |हम जैसे परम ज्ञानी और भडासियों के लिये कोई मोका ही नही छोडा |पर ताऊ को तो ये ही समझ आवै सै कि " वो तो खुशी के आंसू ही
होते होंगे | और भाई शुक्लाजी आप नै यो बात बहुत देर करके पूछी सै |इब तो ताऊ की माताराम भी जा चुकी हैं | नही तो प्रत्यक्ष ही पूछ लेते |
यार सुबह पहले ही मां की याद दिला दी | मन बहुत भारी भारी हो गया |
यार तुम भडासियों को और कोइ काम नही है क्या ?
खाली पीली ताऊ को रुला दिया ...!!!
शुभकामनाएं

डॉ.रूपेश श्रीवास्तव(Dr.Rupesh Shrivastava) said...

भाई,सत्यानाश हो ये साले डिब्बे के दूध का जिस पर हमने बचपन बिता दिया और धन्य हैं हमारी माताराम जिन्होंने हमें उस सीक्वेंस पर दूध नहीं पिला पाया जो आपने बताया क्योंकि हम तो चिरछड़े हैं तो हमें नहीं पता कि माताजी क्यों रोती हैं आप माताजी से ही पूछिये...... या फिर इस बात का उत्तर भड़ासमाता मुनव्वर सुल्ताना जी दे सकती हैं....