संवैधानिक कर्तव्यों पर
आम आदमी
जिस तरह
गौण है।
संसद भी
नीति निर्देशक तत्व के
सवाल पर
मौन है।
18.6.08
संसद
Labels: कविता, तुकबंदी, प्रतिक्रिया, संसद
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अगर कोई बात गले में अटक गई हो तो उगल दीजिये, मन हल्का हो जाएगा...
संवैधानिक कर्तव्यों पर
आम आदमी
जिस तरह
गौण है।
संसद भी
नीति निर्देशक तत्व के
सवाल पर
मौन है।
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