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6.6.09

लो क सं घ र्ष !: मिली

मेरा यह सागर मंथन

अमृत का शोध नही है
सर्वश्व समर्पण है ये
आहों का बोध नही है


-डॉक्टर यशवीर सिंह चंदेल ' राही '

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