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11.12.09

तेलंगाना ,क्या होगा देश का ?

के चंद्रशेखर राव का आमरण अनसन और अलग तेलंगाना की मांग पुरी .क्या बात है देश में तो ऐसा होते ही आया है पहले अलग राज्य को लेकर राम्लुलू की मौत के बाद अलग राज्य भाषा के आधार पर गठित हो गया .तो इतिहास तो पुराना है अगर आपकी मांग पुरी नही होती है तो अनसन पर बैठ जाओ आज नही तो कल तो कोई देखने आएगा ही और आज तो राजनीती इतनी हावी है की आपको कोई दुखी नही कर सकता .आज देश में २८ राज्य है कई राज्यों की स्थिति बिल्कुल ख़राब है ऐसे में किसी नए राज्य को बनाकर क्या हम उस राज्य को खुशहालकर सकते है .मान लिया जाए अगर तेलंगाना को अलग कर भी दिया जाए तो क्या आग बुझ जायेगी अगर आग बुझ जाए तो अलग कर दिए जाए ?लेकिन जहाँ तक मेरी सोच का दायरा है तो मैं समझता हूँ की इससे अलग अलग राज्यों को अलग करने के लिए जो आन्दोलन हो रहे थे वो एक बार फिर आग पकड़ लेगा .आज देश के हर बड़े राज्यों को दो फांक करने की बात हो रही है ,कभी आवाज़ उत्तरप्रदेश से निकलती है तो कभी बिहार से .आख़िर हम किस किस को अलग कर सकते है अगर एक सूचि पर ध्यान दे तो उत्तरप्रदेश से पहले ही उत्तराखंड अलग हो गया है अब उससे पूर्वांचल ,हरित प्रदेश और बुंदेलखंड को अलग करने की मांग उठेगी तो इस प्रदेश में बचेगा क्या ?वही अगर और राज्यों की बात तो असम से बहुत पहले एक आग उठी थी बोडोलैंड को अलग करने की उसको भी हवा मिलेगी ,वहीँ बिहार से झारखण्ड पहले ही अलग हो चुका है अगर इससे पूर्वांचल ,मिथिलांचल और कहीं अंगप्रदेश अलग करने की मांग तेज़ हो गई तो बिहार में बचेगा क्या ?वहीँ गुजरात से अगर सौराष्ट्र और महाराष्ट्र से विदर्भ को अलग कर दिया जाए तो क्या होगा ?वहीँ बंगाल से अगर आग तेज़ हो गई जो की अलग तेलंगाना के बाद हो गई है गोरखा जनमुक्ति मोर्चा ने ९६ घंटे बंद का ऐलान कर दिया है ,और अगर बंगाल से कुछ बिहार को भी अलग करने की बात हो तो क्या होगा ?वहीँ मध्यप्रदेश से पहले ही छत्तीसगढ़ को अलग किया जा चुका है अब अगर गोंडवाना को अलग कर दिया जाए तो क्या होगा ?ये तो हुई बात लेकिन अगर यही सब चीज़ चलता रहा तो हमारी सरकार का सारा समय तो बस राज्यों के पुनर्गठन में ही चला जाएगा देश का विकास कब होगा .देश आज प्रगति कर रहा है अगर देश पर ध्यान नही दिया जाएगा तो फिर हम कहाँ चले जायेंगे ?जहाँ तक बात है तेलंगाना को अलग राज्य बनने की तो सरकार पहले भी देख चुकी है झारखण्ड को अलग कर के की क्या नतीजा हो रहा है अगर आज झारखण्ड सही तरह से प्रगति करता तो आज देश का सबसे अमीर राज्य रहता लेकिन सिर्फ़ अलग कर देने से ही नहीं होता है जो बात सबसे पते की है वो ये क्या की क्या सचमुच में अलग कर देने से राज्य का विकास हो जाएगा ?क्या लोगो की परेशानी दूर हो जाएगी ?तो अगर देश के इतिहास को देखे तो मुझे तो नहीं लगता ?भलाई इसी में है की सब मिलकर देश के विकास के बारे में सोचें ?हर सरकार सिर्फ़ अपने फायदे सोचती है सरकार ने तेलंगाना को स्वीकृति तो दे दी लेकिन उसके बाद जो हुआ हम देख रहे है वहां के ही लोग इस समर्थन में नही है अगर ऐसे होता तो ९३ विधायक और ५ सांसद इस्तीफा नही देते ?क्या हमे ये नही सोचना चाहए की कोई अपनी डूबती राजनीती को चमकाने के लिए ऐसे ही बातो का सहारा लेता है और वो जीत भी जाता है?राव ने भी इसका सहारा लिया है ये स्पस्ट है फिर भी उसी को समर्थन ?देश को लगातार तोडा जा रहा है और सारे लोग चुप है ?क्या होगा इस देश का ये तो अब कहना मुश्किल सा प्रश्न हो गया है?

2 comments:

Unknown said...

Aapki chintaa waajib hai bandhu lekin desh ki raajniti kaa raajnitik aadhar yahi bantaa dikh raha hai .raajnitik partiyon ki soch me swarth kaa deemak jab tak laga rahega to isi tarah bihar se jhaarkhand aur utaarpradesh se uttrakhand jaise raajya alag hote rahenge.aapke tathaya poorn aalkeh ke liye aako saadhowaad .

Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak " said...

दर्द आपका सही, मगर डाक्टर सब बने कसाई.
भूलकर भी मत खाना इस दाक्तर की दवाई.
डाक्टर की दवाई, स्वस्थ ना होने देती.
राजनीति की तरह, लपेटे पूरे देती.
यह साधक अब समाधान करता है आपका.
समझ बनालें मित्र, दर्द है सही आपका.