गत नौ तारीख को नैनो के विरुद्ध उठते जनान्दोलन के समाचार पर ट्टिपणी करते समय सिंगुर याद आया. बंगाल से टाटा के कारोबार समेट कर गुजरात जाना पङा था. वाईब्रेन्ट गुजरात के धांसू मुख्यमंत्री ने कहा था कि राज्य में टाटा का आना जनता के हित में है. यही बात पहले वामपंथी बुद्ध देव कहते थे. जनता के व्यापक हित के नाम पर किसानों से उपजाऊ जमीन छीनकर टाटा को दी गई थी. ममता ने विरोध किया, किसान दोनों तरफ़ से पिटे-पिसे. तब कुण्डली बनी-
जनता कहाँ है देखलो ,सिगुर कामैदान .
राजनीटि- टाटा करे, जनता की ही हान .
जनता की ही हान ,जमी दे दो या ना दो.
मरना दोनों तरह ,किसी भी तरफ वोट दो.
कह साधक कवि,रावण हो गया तंत्र देखलो,
सिंगुर का मैदान ,कहाँ जनता है देखलो .
उल्टी गंगा बह रही, कृषक हुआ बेकार ,
टाटा की खातिर बिछे,पलक-पाँवङे यार.
पलक-पाँवङे यार,देश ऋषि-कृषकों का था .
ऐसे दिन भारत में, यह किसने सोचा था ?
जब साधक कवि नेता खुद बन गया लफ़ँगा,
कृषक हुआ बेकार,बह रही उल्टी गंगा . ५.
लुटते आये हैं सदा , खेती और किसान ,
राजा ठाकुर ना रहे, ना ही जमीदार.
ना ही जमीदार, आ गया प्रजातन्त्र भी ,
प्रजा मगर नीचे है ,हावी रहा तंत्र ही .
साधक आम आदमी सदा लुटते आयेहैं .
खेती और किसान सदा पिटते आये हैं
वाम-पंथ ने कर लिया,पूंजी से गठजोङ.
टाटा को बुलवा लिया, ली किसान से होङ.
ली किसान से होङ.कृषि के बदले गाङी.
नीति और सिद्धान्त, जमीं में गहरी गाङी.
कह साधक माया न मिली ना राम पंथ को.
सत्ता की ममत्ता ने घेरा वाम-पंथ को.
राजनीति ही कर रहे ममता हो या वाम.
टाटा का भी देखलो निकल गया है राम.
निकल गया है राम,ना देखा हित जनता का.
कार जरूरी है,या जरूरी हित लोगों का ?
कह साधक कविराय ,याद कर राम की नीति
.राम छोङ कर भटक रही है राज की नीति.
जो किसान खुद ना मरे ,वे सिंगुर में ढेर .
हैं आश्रित इस तंत्र के , मरना देर-सबेर.
मरना देर-सबेर ,तो डर किस बात का प्यारे .
करके निश्चय पलट व्यवस्था, समय पुकारे.
कह साधक कविराय,बदल लें किस्मत वे खुद .
धरती की रक्षा करते वे,जो किसान खुद . ७.
ममता-टाटा-बुद्धदेव ,सबने लूटा खूब .
सिंगुर बना है देश यह ,लूट मची भरपूर .
लूट मची भरपूर ,अमरीका को बुलवाया .
परमाणु-करार की खातिर फिर लुटवाया .
कह साधक कविराय,मत धरो मन में समता .
देश बचाओ मन में लेकर माँ की ममता. ८.
आज इतना काफ़ी है............. नैनो प्रकरण १
12.12.09
नैनो प्रकरण १.
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1 comment:
nice
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