टाटा की अत्यधिक महत्वाकांक्षी एक लाख कीमत वाली कार पर से अंतत:
आज पर्दा उठ ही गया और सामने आई टाटा नैनो।
अगर रतन टाटा की माने तो आज से चार - पांच साल
पहले एक परिवार को मुंबई में बारिश में भीगते हुए देख कर ये खयाल
आया कि क्यों ना एक कार ऐसी बनाई जाये जिससे आम आदमी भी अपने
रहन सहन के स्तर को बढता हुआ देख सके।
यानि की निम्न मध्यम या मध्यम वर्ग जो कि कार का सपना संजो कर तो
रखता था लेकिन उसे साकार नही कर पाता था।
खैर टाटा की इस कार में कुछ खूबियां भी हैं।
मसलन दिखने में टाटा नैनो मारुति ८०० से छोटी है,लेकिन 21 प्रतिशत ज़्यादा जगह रखती है।
कार के डैश बोर्ड में एक स्पीडोमीटर, फ़्यूल गेज, आयल और लाईट के इंडिकेटर हैं।
कार में एडजस्टेबल सीट या रेक्लाईनिंग सीटें अभी नही हैं, रेडियो भी नही है।
शाक एब्ज़ार्बर्स भी काफ़ी आधारभूत स्तर के ही हैं।
इसमें 30 लिटर का फ़्यूल टैंक है, और चार स्पीड मैनुअल गीयर शिफ़्ट हैं।
नैनो के तीन माडलों में से एक में एयर कंडीशनिंग भी है, लेकिन उसमे
कोई पावर स्टीयरिंग नही होगा। इसमें आगे के डिस्क ब्रेक होंगे
और पीछे ड्रम ब्रेक तकनीक का प्रयोग किया गया है।
कम्पनी के दावे को यदि माने तो ये कार एक लीटर पेट्रोल में 23 कि० मी० चलेगी।
इस कार को टाटा ने मध्यम वर्गीय परिवार को ध्यान में रखते हुए डिज़ाईन किया है।
नैनो को डिज़ाईन करने में 500 से अधिक आटोमोबाईल, ईलेक्ट्रानिक्स एवं
एस्थेटिक्स एंजीनियरों की सहायता ली गई है।
कार का डिज़ाईन अभी तक की हैच बैक सेगमेंट में सबसे ज़्यादा एयरो डाइनामिक है।
कार की लंबाई 3.1 मीटर है, चौड़ाई 1.5 मीटर औरउंचाई 1.6 मीटर है।
कार में ट्यूब लेस टायरों का इस्तेमाल किया गया है, कार का ग्राऊंड क्लीयरेंस भी अच्छा है।
इस कार का ईंजन 2 सिलिंडर, 623 cc, मल्टी प्वाईंट फ़्यूल इंजेक्शन है।
इंजन को बूट स्पेस यानि कि पीछे की ओर रखा गया है, जिससे कि
पिछले पहियों को ज़्यादा पावर मिल सकेगी।
भारत में पहली बार 2 सिलिंडर, सिंगल बैलेंसर शैफ़्ट गैस इंजन इस्तेमाल किया गया है।
जो कि कार के माइलेज को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है।
लेकिन इंजन को ठंडा रखने के लिये एक एयर स्कूप देना भी
अति आवश्यक होता है जिस की गैर मौजूदगी नैनो में कुछ शुरुआती
दिक्कतें पैदा कर सकती है।
सुरक्षात्मक नज़रिये से देखें तो भी ये एक उत्तम कार की श्रेणी में
रखी जा सकती है।
सम्पूर्ण शीट मेटल बाडी तथा impact resistant rods
के प्रयोग से गाड़ी में सुरक्षा का भी उचित ध्यान रखा गया है।
आने वाले कुछ समय में एक नया सेगमेंट बाज़ार में प्रतिस्पर्धा करने के लिये तैयार होगा।
ह्युन्दाई मोटर्स के एक अधिकारी की माने तो उनकी बिक्री पर अभी से इसका
प्रभाव पड़ता दिख रहा है।
जगदीश खट्टर का कहना है कि अभी इस पर कोई प्रतिक्रियात्मक टिप्पणी
करना बहुत जल्द बाज़ी होगी।
बजाज के अनुसार उन्हे कभी इस बात पर संदेह नही था कि टाटा एक लाख
की कीमत वाली कार बाज़ार में उतार सकती है या नही, वरन
उनका कहना है कि यह कार कितना मुनाफ़ा दिलायेगी टाटा
को ये काबिले गौर बात होगी।
वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल में इस कार का विरोध भी देखने को मिला
सिंगूर के आंदोलन रत लोगो की माने तो यह कार टाटा ने लोगो के खून से बनाई है।
कुल मिला कर इस कार से भारतीय बाज़ार में काफ़ी हलचल है।
और शायद आने वाले समय में यातायात की समस्या और गहरा जाये।
धन्यवाद
अंकित माथुर...
10.1.08
टाटा का चांटा !!! एक लाख की कार...
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