तसलीमा से बात करना और अरसे बाद उसे फिर से सुनना एक अलग ही मजा और सोचने के लिए मजबूर करता है। जहाँ वह अपने आसपास की घटनाओं पर जमकर बोलती हैं, वहीं भारत, पाकिस्तान, बंगलादेश सहित तुर्की पर भी समान अधिकार और आत्मविश्वास के साथ सिर्फ गरजती ही नही बरसती भी हैं। अमेरिका के खिलाफ मुहँ खोलने में भी तसलीमा को गुरेज नही है। लोकतंत्र की जम कर वकालत करती हैं। गुजरे हुए पल को याद करती है। लज्जा और द्विखान्दिता पर भी बात करती हैं.
करीब पौने घंटे बात हुई थी। करीब पन्द्रह सवाल पूछने का मौका मिला था। और जबाब भी मुझे मिला था। मजेदार बातें हुई थी। इंटरव्यू के बाद हंसी के फव्वारे भी छूटे थे। क्यों न अंगरेजी में हुई बातचीत को पढा जाय। भड़ास के अलावा विनीत उत्पल पर भी इसे पढ़ सकते हैं।
मेरे अंगरेजी उतनी अच्छी नही है, इस कारन जहाँ गलती हो, सही कर पढ़ने का कष्ट करेंगे...विनीत उत्पल
It is not really true democracy...Taslima
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