राजेन्द्र जोशी
देहरादून । मुख्यमंत्री निशंक के द्वारा श्रीनगर विधानसभा से चुनाव लडऩे की घोषणा के साथ ही जहां यह सीट अब हाई प्रोफाईल होने जा रही है वहीं मुख्यमंत्री की घोषणा ने कई दिग्गज नेताओं के यहां से विधायक बनने के अरमानों पर पानी फेर दिया है। मुख्यमंत्री ने यह कह कर कि उनके यहां से चुनाव लडऩे पर किसी को भी अब संदेह नहीं होना चाहिए क्योंकि उनकी विधानसभा थैेलीसैंण का अधिकांश हिस्सा नये परिसीमन के बाद श्रीनगर विधानसभा में आ गया है लिहाजा यहां से चुनाव लडऩे को लेकर उनकी दावेदारी पहली होने के साथ ही पुख्ता भी है। गौरतलब हो कि बीते दो दिन पूर्व श्रीनगर के बैकुण्ठ चर्तुदशी मेले के उद्घाटन के दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री डा0 निशंक ने सार्वजनिक रूप से यह कह कर भाजपा के कई नेताओं की श्रीनगर विधानसभा से चुनाव लडऩे की हसरतों पर पानी फेर दिया कि अब वे यहीं से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। उन्होने यह भी साफ-साफ कहा कि उनके इस निर्णय पर किसी को संदेह भी नहीं होना चाहिए, एक तीर से कई निशाने भी साधे हैं। भाजपा के कई कद्दावर नेता जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चन्द्र खंण्डूड़ी भी शामिल हैं बताया जाता है कि वे भी यहां से चुनाव लडऩे का ताना बाना बुन रहे थे। क्योंकि गढ़वाल क्षेत्र में कर्णप्रयाग तथा श्रीनगर ही दो ऐसी विधानसभा सीटें हैं जो ब्राहमण बाहुल्य हैं, और पूर्व मुख्यमंत्री इन सीटों से चुनाव लडऩे को ज्यादा मुफीद समझ रहे थे। लेकिन कर्णप्रयाग के विधायक अनिल नौटियाल को गढ़वाल मंडल विकास निगम का अध्यक्ष बनाकर निंशक ने उनके कद को बढ़ाकर 2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ कर दिया है। जबकि पूर्व मुख्यमंत्री की धूमाकोट विधानसभा अब नये परिसीमन के बाद चौबट्टाखाल के नाम से जानी जायेगी और यह सीट राजपूत बाहुल्य है। वहीं बदले समीकरणों के बाद इस सीट पर पूर्व राज्य मंत्री व सांसद सतपाल महाराज की धर्मपत्नी अमृता रावत के चुनाव लडऩे की पूरी संभावना है, राजपूत बाहुल क्षेत्र होने के कारण अमृता रावत खंण्डूड़ी को आसानी से शिकस्त दे सकती है। यही कारण है कि पूर्व मुख्यमंत्री को अब इस सीट से जीतने का भरोसा भी नहीं रह गया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री के $गृह नगर पौड़ी की विधानसभा सीट भी आरक्षित हो चुकी है लिहाजा यहां से चुनाव लडऩे की संभावना भी समाप्त हो गयी है। जहां तक अब श्रीनगर विधानसभा से चुनाव लडऩे की घोषणा क ी बात की जाये तो चर्चा तो यहां तक है कि पूर्व मुख्यमंत्री गढ़वाल दौरे के वापसी के दौरान ही अपनी इस इच्छा को सार्वजनिक भी करने वाले थे कि निशंक ने उनसे पहले यह घोषणा कर उनको ऐसी पटखनी दी कि वे चारों खाने चित्त हो गये। भाजपा के ही क ुछ लोगों का कहना है कि खंण्डूड़ी इस घोषणा को श्रीनगर में ही एक जनसभा में करने वाले थे। सूत्रों का कहना है कि इस सभा में पूर्व मुख्यमंत्री खंण्डूडी किसी भाजपा कार्यकर्ता द्वारा स्वयं को यहां से लड़वाने का प्रस्ताव रखवाना चाह रहे थे लेकिन इससे पहले मुख्यमंत्री निशंक ने घोषणा कर फिर उन्हे बैक फुट पर ला खड़ा कर दिया है। निशंक द्वारा अचानक इस तरह की घोषणा से खंण्डूड़ी तबका सन्न है। वह अब किसी और नये ठिकाने की तलाश में जुट गया है। राजनीतिक विश£ेषकों का मानना है कि खण्डूड़ी द्वारा गढ़वाल क्षेत्र के पर्वतीय जिलों की दौड़ का मकसद भी दो साल बाद आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तलाशना है। हालांकि उनके इस दौरे में टिहरी और उत्तरकाशी जिलों के दौरे की तरह कोई क्षेत्रीय विधायक या मंत्री तो नहीं दिखायी दिया लेकिन चर्चा तो यहां तक है कि इन जिलों के क्षेत्रीय विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री के दौरे क ो लेकर कोई दिलचस्पी नहीं ली है।
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